यह सारा प्रोजेक्शन आपका ही है। लोगों को क्यों दोष दें?
प्रश्नकर्ता : क्रिया की प्रतिक्रिया है यह?
दादाश्री : उसे प्रतिक्रिया नहीं कहते। लेकिन यह सारा प्रोजेक्शन आपका है। प्रतिक्रिया कहो तब फिर 'एक्शन एन्ड रिएक्शन आर इक्वल एन्ड ऑपॉज़िट' होगा।
यह तो दृष्टांत दे रहे हैं, सिमिलि दे रहे हैं। आपका ही प्रोजेक्शन है यह। अन्य किसी का हाथ नहीं है इसलिए आपको सावधान रहना चाहिए कि यह सारी ज़िम्मेदारी मुझ पर है। ज़िम्मेदारी समझने के बाद घर में बर्ताव कैसा होना चाहिए?
प्रश्नकर्ता : वैसा बर्ताव करना चाहिए।
दादाश्री : हाँ, खुद की ज़िम्मेदारी समझें। वर्ना वह तो कहेगा कि भगवान की भक्ति करोगे तो सब चला जाएगा। पोलम्पोल! लोगों ने भगवान के नाम परपोल(घोटाला, गड़बड़) चलाई। ज़िम्मेदारी खुद की है। होल एन्ड सोल रिस्पोन्सिबल। खुद का ही प्रोजेक्शन है न!
कोई दुःख दे तो जमा कर लेना। जो तूने पहले दिया होगा, वही वापस जमा करना है। क्योंकि बिना वजह कोई किसी को दुःख पहुँचा सके, यहाँ पर ऐसा कानून ही नहीं है। उसके पीछे कॉज़ होने चाहिए। इसलिए जमा कर लेना।
Book Name: हुआ सो न्याय (Page # 7 Paragraph #2 to #8 , Page #8 Paragraph #1)
A. बस में चढ़ने के लिए राइट साइड में एक व्यक्ति खड़ा है, वह रोड के साइड में खड़ा है। रोंग साइड से एक... Read More
Q. किसी के मेहनत से कमाए हुए पैसे क्यों चोरी हो जाते हैं?
A. तब लोग मुझे पूछते हैं कि ये चोर और जेबकतरे क्या करने आए होंगे? भगवान ने क्यों इन्हें जन्म दिया... Read More
Q. लोग हमें दुःख क्यों देते हैं?
A. न्याय ढूँढते-ढूँढते तो दम निकल गया है। इन्सान के मन में ऐसा होता है कि मैंने इसका क्या बिगाड़ा है,... Read More
A. भगवान न्याय स्वरूप नहीं है और भगवान अन्याय स्वरूप भी नहीं है। किसी को दुःख नहीं हो, वही भगवान की... Read More
Q. किसीको दिया हुआ उधार कैसे वसूल करूँ?
A. बुद्धि तो तूफान खड़ा कर देती है। बुद्धि ही सब बिगाड़ती है न! बुद्धि यानी क्या? जो न्याय ढूँढे, उसका... Read More
Q. क्या मुझे न्याय खोजना चाहिए?
A. इस जगत् में तू न्याय देखने जाता है? हुआ सो न्याय। 'इसने चाँटा मारा तो मुझ पर अन्याय किया', ऐसा नहीं... Read More
Q. विरासत और वसीयत को लेकर होनेवाले झगड़ों को कैसे निपटाएँ?
A. एक भाई हो, उसका बाप मर जाए तो जो सभी भाईर्यों की जमीन है, वह बड़े भाईर् के कब्ज़े में आ जाती है। अब... Read More
Q. बुद्धि से कैसे छुटकारा पाएँ?
A. प्रश्नकर्ता : बुद्धि को निकालना ही है, क्योंकि वह बहुत मार खिलाती॒है। दादाश्री : इस बुद्धि को... Read More
Q. कुदरत के न्याय का स्वरूप क्या है?
A. जो कुदरत का न्याय है, उसमें एक क्षण के लिए भी अन्याय नहीं हुआ। यह कुदरत जो है, वह एक क्षण के लिए भी... Read More
subscribe your email for our latest news and events