क्या आप अपनी नौकरी, पैसे, स्वास्थ्य, बच्चे, वृद्ध-माता-पिता जैसे विभिन्न मुद्दों से चिंतित हैं, और इससे नकारात्मक रूप से प्रभावित महसूस करते हैं? यहाँ, आप इन समस्याओं का समाधान नीचे दिए हुए तरीके से पा सकते हैं। चिंता करना रोक कर और जीना शुरू कैसे किया जाये इसके लिए यह बिलकुल सरल और व्यवहारिक चाबियां हैं।
चिंता न करने का पहला कदम अपनी चिंताओं को सुलझाना है जैसा कि पोस्ट ऑफिस करता है। डाकघर में, उनके पास मेल छांटने के लिए घनाकार छेद होता है; जैसे नडियाद के लिए मेल, सूरत के लिए मेल, कार्यालय के लिए मेल आदि। इसी तरह, अपनी चिंताओं को उचित बक्से में रखें, व्यपार के लिए बॉक्स, समाज के लिए बॉक्स, कार्यालय के लिए बॉक्स आदि, और फिर आराम से रहें। जब आप अपनी चिंताओं को सिलझा लेते हैं (ज्यादातर: उन्हें लिखकर), तो चीजें अधिक वास्तविक हो जाती हैं। हम इन बॉक्स पर थोड़ी देर बाद वापस आएंगे।
एक समय में एक ही समस्या ले। चलो यह कहे की, आप अपनी नौकरी खो चुके है। आप चिंता करने लगते हैं और जीवन बोझ लगने लगता है। हालाकि, आपको जीवन में सकारात्मक देखना चाहिए, क्योंकि सकारात्मकता से समस्या की तीव्रता कम हो जाती है। यदि आप अपनी नौकरी खो देते हैं, तो आपको प्रसन्न होना चाहिए कि आपके पास बैंक में कुछ बचत है और यदि आपके पास कोई बचत नहीं है, तो आपको खुश होना चाहिए कि आपका परिवार आपके साथ है। आपके पास भोजन, कपड़े और मकान सभी आवश्यकता की चीजें हैं। जब आप सकारात्मक रहकर इस तरह का आराम और समर्थन लेते हैं, तो आपका दिमाग अधिक स्थिर होता है और आपकी समस्याओ को सुलझाने की क्षमता बढ़ती है।
मान लीजिए कि आपने अपनी नौकरी खो दी है और आपके मन में तरह तरह के नकारात्मक विचार चल रहे होंगे। आप अपने बॉस, सहकर्मी, दोस्त या परिवार के किसी सदस्य को जिम्मेदार लग सकते हैं। यह नकारात्मकता आपके मन में उत्पन्न होने वाले समाधानों में रुकावट का कारण बन सकती है।
यदि आप किसी स्थिति या किसी व्यक्ति के नकारात्मक पहलुओं को आपकी चिंताओं का कारण पाते हैं, तो नकारात्मकता को मिटाने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें, इसकी जगह सकारात्मकता को अपनाएं:
अब दोनों सूचियों को देखें। आपको आश्चर्य होते हुए, एहसास होगा कि आपकी नकारात्मक सूची में से कुछ पोईन्ट्स अब वास्तविकता में सकारात्मक हो चुके थे। अंत में, आपकी सकारात्मक सूची नकारात्मक को मात देती है।
केवल कुछ चीजें ही हमें बार-बार परेशान करती हैं जो हमारे दिमाग में अराजकता पैदा करने का कारण हैं। इससे छोटी चिंताए, बहुत बड़ी है ऐसा एहसास होता है । उपरोक्त कदम अनावश्यक अशांति को कम करने में मदद करते हैं और इसलिए हम सामने खड़ी समस्या के समाधान पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
अब, प्रथम चरण में चिंता के बक्से से एक के बाद एक पोईन्ट्स को उठाएं और समाधान खोजने का प्रयास करें। हमें इस कठिन कार्य को पूरा करने के लिए जबरदस्त प्रयास की आवश्यकता होगी। यह पता करें कि आपके तरफ से क्या प्रयास किये जाने चाहिए, आपको बाहर से क्या मदद मिल सकती है, ऐसी कौन सी चीजें या मुददे हैं जिनसे समझौता किया जा सकता है ताकि शांतिपूर्वक और सफल समाधान तक पहुंचा जा सके।
उपरोक्त मे कैसे चिंता करना रोक कर जीना शुरू किया जाये के संदर्भ में दिए गए चरण से आपकी कुछ चिंताओं को हल मिलेगा। हालांकि, हो सकता है की कुछ तकलीफों का सीधा समाधान नहीं हो सके। उन स्थितियों के लिए , जो हमारे नियंत्रण में नहीं हैं, चिंतामुक्त होने के लिए और अधिकतम संभव सकारात्मक परिणाम की उम्मीद करने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें।
1) सत्य को समझो
इस दुनिया में किसी भी चीज़ के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। पिछले जीवन में बोए गए बीजों के परिणामस्वरूप इस जीवन में सब कुछ मिल जाएगा। उदाहरण के लिए, क्या कोई ऐसी योजना या चाह रखता है की उसे अपने व्यवसाय में नुकसान उठाना पड़े? फिर भी, नुकसान होता है। इसी तरह, मुनाफा कमाने की चिंता करने की भी कोई जरूरत नहीं है। यह तब होगा, जब आपका पुण्य कर्म का फल आएंगा । इस दुनिया में तब तक कुछ भी नहीं हो सकता जब तक समय सही नहीं हो, इस तरह दुनिया निश्चित है। कहने का मतलब यह नहीं है, कि आप कुछ भी करने का प्रयास नहीं करते हैं। आपको प्रयास करना होगा। लेकिन आपको परिणामों के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। यदि आपकी कोई परीक्षा है, तो आपको इसके लिए पढना होगा, जितना भी अच्छा आप कर सकते हैं। लेकिन आपको परिणामों की चिंता में नींद खराब नहीं करनी चाहिए।
2) उत्साहित बनें
इस दुनिया में रोने के लिए कुछ भी नहीं है। यदि आपके कर्मो के खाते में नकारात्मक राशी शेष है और यदि आप शिकायत और अस्वीकृति से इसमें ज्यादा नकारात्मकता को जोड़ते हैं, तो आपके जीवन में नकारात्मक राशी बढ़ जाएगी। लेकिन अगर आप अपने रास्ते में जो आया है उसे स्वीकार करते हुए उसमे सकारात्मकता जोड़ते हैं कि और वो भी एक उत्साह भरे अभिवृत्ति के साथ, तब आपकी नकारात्मक राशी सकारात्मक में बदल सकता है। जहाँ भी आपको दुःख या दर्द सहन करना पड़े, चिंता करके गुणना करने के बजाय, यदि आप इसे एक मुस्कुराहट के साथ विभाजित करेंगे, तो उस खाते में कुछ नहीं बचेगा।
3) विचारों का निरिक्षण करें, स्वीकार न करें
विचार करना मन का स्वभाव है। सुनना कानों का स्वभाव है। आप यह तय कर सकते हैं कि आप उन लोगों को नहीं सुनना चाहते जो आपका अपमान करते हैं या आपको शाप देते हैं । लेकिन यह सुनना कानों की प्रकृति है। और इसलिए वे सुनने से परहेज नहीं करेंगे। इसी तरह मन की प्रकृति में भी ऐसे विचार करना है, जो आपको पसंद नहीं हो। वह मन की प्रकृति है। विचार जानने की वस्तु है और आप उनके जानकार है। इसलिय आपको जितने भी विचार आते है उनको जानना है । आपको उनका निरीक्षण करना जारी रखना होगा। आपको इस बारे में कोई राय नहीं होनी चाहिए कि वे अच्छे हैं या बुरे हैं। आपको जितने भी विचार आए, फिर वह कितने ही बुरे क्यों न हों; उनके साथ आपको कोई भी लेना देना नहीं होना चाहिए। पिछले जन्म में आपके जो भी भाव से यह बंधे थे, बस उसी तरह से वह डिस्चार्ज होंगे। आपको बस उन्हें डिस्चार्ज होते ‘देखना’है। और ‘जाने’ कि जिस प्रकार से वे बांधे गए थे आज उसी प्रकार से उनका डिस्चार्ज हो रहा है। यह चिंता को रोकने और जीवन जीना शुरू करने का शायद सबसे व्यावहारिक तरीका है।
4) वर्तमान में जीना सबसे सही है:
जब समय सही होगा, तो काम पूरा करने के लिए आवश्यक सभी साक्ष्य एक साथ आ जाएंगे। अतीत जो चला गया, उसे क्यों कुरेदें? भविष्य अभी होना बाकी है, इसलिए वर्तमान में जीये, और वर्तमान समय में भाग लें।
वर्तमान में रहना मतलब कि कार्य करना और उस पर ध्यान केंद्रित करना। ऐसा करने से, चिंताएं अपने आप उत्पन्न नहीं होंगी। वर्तमान में रहने का मतलब है कि जब आप खाते लिख रहे होते हैं, तो आपकी पूरी एकाग्रता उसमें होती है और उससे सटीकता बनी रहती है। जब मन भविष्य में घूमता है, तो आपके खाते में गलतियाँ होंगी। जो लोग वर्तमान में रहते हैं, वो एक भी गलती नहीं करते हैं, और उन्हें कोई चिंता नहीं होती है।
उपरोक्त बातें आपको समभाव में बने रहने और शांत रहने में मदद करती हैं। जब चिंताएं दूर हो जाती हैं, तो इसे समाधि कहा जाता है (शुद्ध स्वभाव के साथ एकता, किसी भी बाहरी पुद्गल की प्रतिक्रिया से अबाधित)। इसके बाद, आप पहले की तुलना में बहुत अधिक कुशलता से काम कर सकते हैं क्योंकि अब उलझन नहीं है। जैसे ही आप ऑफिस जाते हैं, आप काम करना शुरू कर सकते हैं। घर के बारे में कोई विचार नहीं आयेगा। कोई बाहरी विचार आपको परेशान नहीं करेगा। और,आप काम पर अपना पूरा ध्यान देंगे।
चिंता कैसे बंध करे :
जैसे 'हम मरनेवाले हैं', ऐसा सभी को मालूम है। मृत्यु के विचार आने पर लोग क्या करते हैं? उसे धकेल दे देते हैं। हमें कुछ हो जायेगा तो, ऐसा विचार आते ही हम उसे धकेल देते हैं। उसी प्रकार जब अंदर चिंता होने लगे, तब धकेल देना है, हमे कहना है, कि ‘यहाँ नहीं’ भाई!
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