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व्यापार में ट्रिक्स-क्या मुझे ऐसा करना चाहिए?

लक्ष्मी की कमी क्यों है? चोरियों से। जहाँ मन-वचन-काया से चोरी नहीं होगी, वहाँ लक्ष्मीजी की मेहर होगी। लक्ष्मी का अंतराय चोरी से है।

पैसे कमाने के लिए अक्ल इस्तेमाल नहीं करनी होती। अक्ल तो लोगों की भलाई करने में ही इस्तेमाल की जानी चाहिए।

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ज्ञान जानने पर प्रकाश में आता है कि क्या करने से खुद सुखी होता है और क्या करने से दुःखी होता है? अक्लमंद तो ट्रिक आज़माकर सब बिगाड़ते हैं।

ट्रिक शब्द ही डिक्शनरी में नहीं होना चाहिए। 'व्यवस्थित' का ज्ञान किस लिए दिया गया है? 'व्यवस्थित'में जो हो सो भले हो। ग्यारह सौ रुपये मुनाफा हो, तो भले हो और घाटा हो, तो भी भले हो।  सत्ता 'व्यवस्थित' के हाथों में है, हमारे हाथों में सत्ता नहीं है। यदि सत्ता हमारे हाथों में होती, तो कोई सिर के बाल सफेद होने ही नहीं देता। कोई भी ट्रिक खोज निकालते और बालों को काले के काले ही रखते।

बिना ट्रिक का मनुष्य सरल दिखता है। उसका मुख देखकर ही प्रसन्न हो जाएँ। पर ट्रिकवाले कै मुख तो भारी लगता है मानो अरंडी का तेल पीया हो। खुद के, 'शुद्धात्मा' होने के बाद, यह सारा माल साफ करना पड़ेगा न? जितना लिया, उतना, दिया तो करना पड़ेगा न? ट्रिक से भरा हुआ माल, मार खाकर भी वापिस तो करना ही पड़ेगा न? इसलिए तो हम कहते हैं कि 'ओनेस्टी इज़ द बेस्ट पोलिसी एंड डिसओनेस्टी इज़ द वर्स्ट फूलिशनेस'

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