अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें21 मार्च |
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
लक्ष्मी जी की कमी क्यों है?
लक्ष्मी की कमी क्यों है? चारियों से। जहाँ मन-वचन-काया से चोरी नहीं होगी, वहाँ लक्ष्मीजी की मेहर होगी। लक्ष्मी का अंतराय चोरी से है।
पैसे कमाने के लिए अक्ल इस्तेमाल नहीं करनी होती। अक्ल तो लोगों की भलाई करने में ही इस्तेमाल की जानी चाहिए।
ज्ञान जानने पर प्रकाश में आता है कि क्या करने से खुद सुखी होता है और क्या करने से दुःखी होता है? अक्लमंद तो ट्रिक आज़माकर सब बिगाड़ते हैं।
ट्रिक शब्द ही डिक्शनरी में नहीं होना चाहिए। 'व्यवस्थित' का ज्ञान किस लिए दिया गया है? 'व्यवस्थित'में जो हो सो भले हो। ग्यारह सौ रुपये मुनाफा हो, तो भले हो और घाटा हो, तो भी भले हो। सत्ता'व्यवस्थित'के हाथों में है, हमारे हाथों में सत्ता नहीं है। यदि सत्ता हमारे हाथों में होती, तो कोई सिर के बाल सफेद होने ही नहीं देता। कोई भी ट्रिक खोज निकालते और बालों को काले के काले ही रखते।
बिना ट्रिक का मनुष्य सरल दिखता है। उसका मुख देखकर ही प्रसन्न हो जाएँ। पर ट्रिकवाले कै मुख तो भारी लगता है मानो अरंडी का तेल पीया हो। खुद के, 'शुद्धात्मा' होने के बाद, यह सारा माल साफ करना पड़ेगा न? जितना लिया, उतना, दिया तो करना पड़ेगा न? ट्रिक से भरा हुआ माल, मार खाकर भी वापिस तो करना ही पड़ेगा न? इसलिए तो हम कहते हैं कि 'ओनेस्टी इज़ द बेस्ट पोलिसी एंड डिसओनेस्टी इज़ द वर्स्ट फूलिशनेस'
Q. व्यवसाय में प्रामाणिकता कैसे रखें?
A. इसलिए हम परम हित की बात बताते हैं, ट्रिकें इस्तेमाल करना बंद करें। चोखा व्यापार करें। ग्राहकों से साफ कह दें कि इसमें मेरे पंद्रह प्रतिशत मुनाफा जुड़ा है,...Read More
Q. मुझे मेरे व्यवसाय का विस्तार करना चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता: अब धंधा कितना बढ़ाना चाहिए? दादाश्री: धंधा उतना बढ़ायें कि चैन से नींद आये, जब हम हटाना चाहें तब हटा सकें, ऐसा होना चाहिए। धंधा बढ़ा-बढ़ा कर...Read More
Q. क्या मुझे पैसे उधार देने चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता: किसी मनुष्य को हमने पैसे दिये हो और वह नहीं लौटाता हो तो उस समय हमें वापस लेने का प्रयत्न करना चाहिए या फिर कर्ज अदा हो गया मानकर संतोष लेकर...Read More
Q. नुकसान के वक्त कैसे बर्तना चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता : धंधे में भारी घाटा हुआ है तो क्या करुँ? धंधा बंद कर दूँ कि दूसरा धंधा करुँ? कज़र् बहुत चढ़ गया है। दादाश्री : रुई बाजार का घाटा कुछ बनिये की...Read More
A. प्रश्नकर्ता : मनुष्य कर्ज छोड़कर मर जाये तो क्या होगा? दादाश्री : चाहे कर्ज अदा किये बिना मर जाये, पर उसके मन में आखिर तक-मरते दम तक, एक बात तय होनी चाहिए...Read More
Q. मंदी से कैसे निपटे? पैसों का स्वभाव कैसा है?
A. प्रश्नकर्ता : जीवन में आर्थिक परिस्थिति कमज़ोर हो तब क्या करना? दादाश्री : एक साल बारिश नहीं होने पर किसान क्या कहते हैं कि हमारी आर्थिक स्थिति खतम हो गई।...Read More
Q. ग़ैरकानूनी पैसे का क्या असर होता है?
A. मुंबई में एक उच्च संस्कारी परिवार की बहन से मैंने पूछा, 'घर में क्लेश तो नहीं होता न?' तब वह बहन कहती है, 'रोजाना सवेरे क्लेश के नाश्ते होते हैं!' मैंने...Read More
Q. व्यावसायिक नैतिकता क्या है?
A. प्रश्नकर्ता : आत्मा की प्रगति के लिए क्या करते रहना चाहिए? दादाश्री : उसे प्रामाणिकता की निष्ठा पर चलना चाहिए। वह निष्ठा ऐसी कि बहुत तंगी में आ जाये तब...Read More
A. जो चीज़ प्रिय हो गई हो उसी में मूर्र्छित रहना, उसका नाम लोभ। वह चीज़ प्राप्त होने पर भी संतोष नहीं होता। लोभी तो, सुबह जागा तब से रात आँख मुँदने तक, लोभ में...Read More
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