• question-circle
  • quote-line-wt

स्पर्धा

स्पर्धा एक ऐसी चीज़ है जिसका सामना जीवन में हर किसी ने किया ही होगा। स्पर्धा कहाँ नहीं है? छोटे हों तब खिलौने के लिए, बड़े हो जाएँ तो पढ़ाई में, फिर अच्छा दिखने के लिए, कैरियर के लिए, जॉब में प्रमोशन के लिए या फिर सोसाइटी में स्टेटस के लिए स्पर्धा चलती ही रहती है। हर एक को स्पर्धा होती ही है। लोग बुद्धि में भी स्पर्धा करते हैं, कि इससे मेरी बुद्धि ज़्यादा है, उससे मेरी बुद्धि ज़्यादा है। कैसे मैं आगे निकल जाऊँ, सबसे आगे बढ़ूँ, सामने वाले का कम हो जाए और मेरा बढ़ जाए इस भाव को स्पर्धा कहते हैं।

कोई दूसरा हमसे आगे निकले, हमसे बेहतर बने यह सहन नहीं हो पाने के कारण ही स्पर्धा का जन्म होता है। अनादिकाल से संसार में स्पर्धा चली आ रही है। हर किसी को गुरु बनने में, बड़ा बनने में बहुत मज़ा आता है। पूरा जगत व्यवहार में अपनी गुरुता दिखाने जाता है। अहंकार खुद स्वभाव से ही दूसरों से श्रेष्ठ बनने की कोशिश में रहता है। लेकिन ज़रूरी नहीं है कि हर बार हम ही सबसे आगे हों।

परम पूज्य दादा भगवान लोकप्रवाह से बिलकुल अलग दिशा में चले थे और कभी भी स्पर्धा में दौड़े ही नहीं। वे अपने अनुभवों का निष्कर्ष यहाँ बता रहे हैं। जिसमें स्पर्धा के मूल में सचमुच क्या है? स्पर्धा कहाँ-कहाँ, किस तरह से शुरू होती है? स्पर्धा से क्या नुकसान होता है? इससे कैसे बाहर निकला जा सकता है? यदि कोई हमारे साथ स्पर्धा करे तो हमें क्या करना चाहिए? इन सभी प्रश्नों की विस्तृत समझ यहाँ मिलती है।

जॉब में कॉम्पिटिशन हो तो क्या करें?

जॉब में कॉम्पिटिशन हो तो क्या करें? जॉब पर जूनियर्स के साथ कॉम्पिटिशन का कैसे सामना करें? ऐसा क्यों होता है की अनुभवी और काबिल की बजाय बिन अनुभवी सहकर्मी को नए काम मिल जाते हैं?

play
previous
next

Top Questions & Answers

  1. Q. स्पर्धा यानि क्या? वह किस कारण से होती है?

    A. परम पूज्य दादा भगवान स्पर्धा की तुलना रेसकोर्स, यानि कि घुड़दौड़ के साथ करते हैं। उनकी यहाँ जो... Read More

  2. Q. स्पर्धा कहाँ-कहाँ और कैसे होती है?

    A. संसार व्यवहार में कहाँ स्पर्धा नहीं है? घर में, परिवार में, पैसा कमाने के लिए, नौकरी-बिजनेस में या... Read More

  3. Q. स्पर्धा से क्या नुकसान होता है?

    A. स्पर्धा वह संसार का विटामिन है। यह हमें संसार में डुबो देती है। हरएक जगह खुद को ज़्यादा लाभ मिले, यह... Read More

  4. Q. कोई हमारे साथ स्पर्धा करे तो क्या करें?

    A. स्पर्धा में जब सामने वाला व्यक्ति हमारे साथ तुलना होने लगे कि “ इसके पास ज़्यादा है, मेरे पास कम... Read More

  5. Q. स्पर्धा से कैसे बाहर निकलें?

    A. सही समझ विकसित करें स्पर्धा वह गलत समझ का परिणाम है। उसके सामने सच्ची समझ सेट करने से स्पर्धा नहीं... Read More

Spiritual Quotes

  1. इस ‘रेसकोर्स’ में अभी तक किसी का नंबर नहीं लगा। सिर्फ हाँफ-हाँफकर मर जाते हैं। ‘हम’ इस भागदौड़ में कभी नहीं उतरते। ‘हम’ तो एक ही शब्द कहते हैं कि, ‘भाई, हम में बरकत नहीं है।’
  2. यह ‘अक्रम विज्ञान’ है। आप ‘रेसकोर्स’ में से हटे कि तुरंत आपकी पर्सनालिटी पड़ेगी। ‘रेसकोर्स’ में पर्सनालिटी नहीं पड़ती। किसी की भी नहीं पड़ती।
  3. जीतने जाओगे तो बैर बंधेगा और हारोगे तो बैर छूटेगा!
  4. आप कहें कि ‘हम हार चुके हैं’ तो जगत् आपको छोड़ देगा। हमने यह खोज की है। क्योंकि जगत् की बराबरी करने गए, उस वजह से कितने ही जन्म लेने पड़ेंगे। इसलिए आखिर में ‘हार गए,’ कहकर हम बैठ गए।
  5. अगर हमें छूटना हो तो हमें स्पर्धा में नहीं रहना चाहिए। जब तक स्पर्धा में रहेंगे, तब तक सामनेवाला अपने दोष छुपाएगा और हम अपने!
  6. जहाँ स्पर्धा है वहाँ ‘ज्ञान’ नहीं हो पाता।
  7. स्पर्धा वह कुसंग है।
  8. जहाँ स्पर्धा है, वहाँ संसार है और जहाँ स्पर्धा नहीं हो, वहाँ ‘ज्ञान’ है।
  9. स्पर्धा करना, वह तो भयंकर रोग है।
  10. ‘मैं बड़ा हूँ’ ऐसा मानता है, इसलिए यह संसार ‘रेस-कोर्स’ में उतरता है और वे सभी भान भूलकर उल्टे रास्ते पर जा रहे हैं। यदि लघुतम का अहंकार हो न, तो वह लघु होते-होते जब एकदम लघुतम हो जाता है, तब वह परमात्मा बन जाता है!

Related Books

×
Share on