प्रश्नकर्ता : मेरा कोई नज़दीकी रिश्तेदार हो, उस पर मैं क्रोधित हो जाता हूँ। वह उसकी दृष्टि से शायद सही भी हो, लेकिन मैं अपनी दृष्टि से क्रोधित हो जाता हूँ, तो किस वजह से क्रोधित हो जाता हूँ?
दादाश्री : आप आ रहे हो और इस मकान पर से एक पत्थर सिर पर आ गिरा और खून निकला, तो उस समय बहुत क्रोध करोगे?
प्रश्नकर्ता : नहीं, वह तो हैपन (हो गया) है।
दादाश्री : नहीं, लेकिन वहाँ पर क्रोध क्यों नहीं करते? यानी यदि खुद ने किसी को देखा नहीं, तो क्रोध कैसे होगा?
प्रश्नकर्ता : किसी ने जान-बूझकर नहीं मारा।
दादाश्री : और अभी बाहर जाएँ और कोई लड़का यदि पत्थर मारे, वह लग जाए और खून निकलने लगे, तो उस पर क्रोध करते हैं, वह क्यों? 'उसने मुझे पत्थर मारा, इसलिए खून निकला' इसलिए क्रोध करते हैं कि 'तूने क्यों मारा?' और जब पहाड़ पर से लुढ़कता-लुढ़कता पत्थर आकर लगे और माथे से खून बहने लगे, तो देखता है लेकिन क्रोध नहीं करता।
उनके मन में ऐसा लगता है कि यही कर रहा है। कोई व्यक्ति जान-बूझकर मार ही नहीं सकता। अर्थात् पहाड़ पर से पत्थर का लुढ़कना और यह मनुष्य पत्थर मारे, दोनों एक जैसा ही है। लेकिन भ्रांति से ऐसा दिखता है कि यह कर रहा है। इस वर्ल्ड में किसी मनुष्य को संडास जाने की भी शक्ति नहीं है।
यदि हमें पता चले कि किसी ने जान-बूझकर नहीं मारा, तो वहाँ क्रोध नहीं करते हैं। फिर कहता है, 'मुझे क्रोध आ जाता है। मेरा स्वभाव क्रोधी है।' मुए, स्वभाव से क्रोध नहीं आता। वहाँ पुलिसवाले के सामने क्यों नहीं आता? पुलिसवाला डाँटे, उस समय क्यों क्रोध नहीं आता? उसे पत्नी पर गुस्सा आता है, बच्चों पर क्रोध आता है, पड़ौसी पर, 'अन्डरहैन्ड' (मातहत) पर क्रोध आता है लेकिन 'बॉस' पर क्यों नहीं आता? यों ही स्वभाव से मनुष्य को क्रोध आ नहीं सकता। यह तो उसे अपनी मनमानी करनी है।
प्रश्नकर्ता : कैसे कंट्रोल करें?
दादाश्री : समझ से। यह जो आपके सामने आता है, वह तो निमित्त है और आपके ही कर्म का फल देता है। वह निमित्त बन गया है। अब ऐसा समझ में आ जाए, तो क्रोध कंट्रोल में आएगा। जब पत्थर पहाड़ पर से गिरा, ऐसा देखते हैं, तब क्रोध कंट्रोल में आ जाता है। तो इसमें भी समझ लेना है कि भाई, यह सब पहाड़ जैसा ही है।
रास्ते में कोई गाड़ीवाला गलत रास्ते से आपके सामने आए, तो भी नहीं लड़ते हो न? क्रोध नहीं करते न? क्यों? आप टकराकर तोड़ दो उसे, ऐसा करते हो? नहीं। तो वहाँ क्यों नहीं करता? वहाँ समझ जाता है कि मैं मर जाऊँगा। अरे भाई, उससे ज़्यादा तो यहाँ क्रोध करने में मर जाते हो, लेकिन यह चित्र नज़र नहीं आता और वह खुला दिखाई देता है, इतना ही फर्क है! वहाँ रोड पर सामना नहीं करता? क्रोध नहीं करता, सामनेवाले की भूल हो फिर भी?
Book Name: क्रोध (Page #12 Paragraph #6 to #11, Page #13, Page #14 Paragraph #1 )
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