जब बच्चे गलतियाँ करते हैं या कुछ गलत करते हैं, तब सच्चा रास्ता यह है की आप उनसे मित्र की जैसे बात करे की, बेटा, आप जो यह कर रहे हो उसके लिए आपने सोचा है?‘ और क्या ऐसा आपको ठीक लगता है? अब यदि वह कहे कि ‘मुझे ठीक नहीं लगता!’ तो फिर आपको उनसे पूछना चाहिए कि ‘तो आप ऐसा क्यों करते रहते हो?’ वे निर्णय लेने और समझने में सक्षम हैं। जब वे कब कुछ गलत करते हैं तो खुद समझते तो हैं ही। लेकिन जब आप उनकी निंदा करने लगोगे, तब वे सामने हो जाएँगे। और क्रोधित हो जाएँगे।
इस तरह बात करनी चाहिए कि जिससे सामनेवाले का अंहकार खड़ा ही न हो। जब आप अपने बच्चों के साथ बात करें तब आदेशात्मक लहज़े में न बोलें। बल्कि इस तरह से बात करें जो उन्हें उनकी गलतियों से सीखने में मदद करें। जब परम पूज्य दादाश्री लोगों से बात करते हैं तो किसी के अहंकार को ठेस नहीं पहुँचती क्योंकि उनकी वाणी अंहकार रहित होती है और उनके शब्द आदेशात्मक नहीं होते।
परम पूज्य दादाश्री बताते हैं कि, बच्चों को पंद्रह साल की उम्र तक इच्छानुसार ढ़ाला जा सकता है।
नीचे दिए गए संवाद द्वारा परम पूज्य दादाश्री ने यह समझाया है कि - बच्चों से किस तरह बात करें ताकि एक संतुलित व्यक्ति के रूप में उनका विकास हो सके।
प्रश्नकर्ता: व्यवहार में कोई गलत कर रहा हो तो उसे टोकना पड़ता है, तो उससे उसे दुख होता है। तो वह किस तरह उसका निकाल करें?
दादाश्री: टोकने में हर्ज नहीं है, पर हमें आना चाहिए न! कहना आना चाहिए न, क्या?
प्रश्नकर्ता: किस तरह?
दादाश्री: बच्चे से कहें, ‘तुझमें अक्कल नहीं, गधा है।’ ऐसा बोलें तो फिर क्या होगा, वहाँ। उसे भी अहंकार होता है या नहीं? आपको ही आपका बोस कहे कि ‘आपमें अक्कल नहीं, गधे हो।’ ऐसा कहे तो क्या हो? नहीं कहते ऐसा। टोकना आना चाहिए।
प्रश्नकर्ता: किस तरह टोकना चाहिए?
दादाश्री: उसे बैठाओ। फिर कहो, हम हिन्दुस्तान के लोग, आर्य प्रजा अपनी, हम कोई अनाड़ी नहीं और अपने से ऐसा नहीं होना चााहिए। ऐसा-वैसा सब समझाएँ और प्रेम से कहें तब रास्ते पर आएगा। नहीं तो आप तो मार, लेफ्ट एन्ड राइट, लेफ्ट एन्ड राइट ले लो तो चलता होगा?
परिणाम प्रेम से किए बिना आता नहीं। एक पौधा भी पालना-पोसकर बड़ा करना हो तो भी प्रेम से करते हो, तो बहुत अच्छा उगता है। पर वैसे ही पानी डालो न, और चीखो-चिल्लाओ तो कुछ नहीं होता। एक पौधा बड़ा करना हो तो! आप कहते हो कि ओहोहो, बहुत अच्छा हुआ पौधा। तो उसे अच्छा लगता है! वह भी अच्छे फूल देता है बड़े-बड़े!! तो फिर ये मनुष्य को तो कितना अधिक असर होता होगा?
प्रश्नकर्ता: संसार में रहने के बाद कितनी ही जिम्मेदारियाँ पूरी करनी पड़ती है और जिम्मेदारियाँ अदा करनी, वह एक धर्म है। उस धर्म का पालन करते हुए, कारण या अकारण कटुवचन बोलने पड़ते हैं, तो वह पाप या दोष माना जाता है? ये संसारी धर्मों का पालन करते समय कड़वे वचन बोलने पड़ते हैं, तो वह पाप या दोष है?
दादाश्री: ऐसा है न, कड़वा वचन बोलें, उस समय हमारा मुँह कैसा हो जाता है? गुलाब के फूल जैसा, नहीं? अपना मुँह बिगड़े तो समझना कि पाप लगा। अपना मुँह बिगड़े ऐसी वाणी निकली, वहीं समझना कि पाप लगा। कड़वे वचन नहीं बोलते। धीरे से, आहिस्ता से बोलो।
थोड़े वाक्य बोलो, पर आहिस्ता रहकर, समझकर कहो, प्रेम रखो, एक दिन जीत सकोगे। कड़वे से जीत नहीं सकोगे। पर वह सामने विरोध करेगा और उल्टे परिणाम बांधेंगा। वह बेटा उल्टा परिणाम बांधेगा। ‘अभी तो छोटी उम्र का हूँ, इसलिए मुझे इतना झिड़कते हैं। बड़ी उम्र का हो जाऊँगा तब वापिस दूँगा।’ ऐसे परिणाम अंदर बांधता है। इसलिए ऐसा मत करो। उसे समझाओ। एक दिन प्रेम जीतेगा। दो दिन में ही उसका फल नहीं आएगा। दस दिन, पंद्रह दिन, महीने तक प्रेम रखा करो। देखो, उस प्रेम का क्या फल आता है, वह तो देखो!
प्रश्नकर्ता: हम अनेक बार समझाएँ, फिर भी वह न समझे तो क्या करें?
दादाश्री: समझाने की ज़रूरत ही नहीं है। प्रेम रखो। फिर भी हम उस समझाएँ धीरे से। अपने पड़ोसी को भी ऐसा कड़वा वचन बोलते हैं हम?
दादाश्री: एक बैंक मेनेजर ने मुझसे कहा, दादाजी, मैंने तो कभी भी वाइफ या बच्चों को एक अक्षर भी नहीं बोला है। चाहे कितनी भी भूल करें, कुछ भी करें, लेकिन मैं कुछ नहीं कहता।’
वह ऐसा समझा होगा कि दादाजी मेरी बहुत तारीफ करेंगे। वह क्या आशा करता था समझ में आया न? और मुझे उसके ऊपर बड़ा गुस्सा आया कि तुझे किस ने बैंक का मैनेजर बनाया? तुझे बाल-बच्चे सम्हालना नहीं आता और बीवी सम्हालना नहीं आता! तब वह तो घबरा गया बेचारा। उल्टा मैंने उसे कहा, आप अंतिम प्रकार के बेकार आदमी हो! आप इस दुनिया में किसी काम के नहीं हो!’ वह आदमी मन में समझ रहा था कि मैं ऐसा कहूँगा तो ‘दादा’ मुझे बड़ा इनाम देंगे। पगले, इसका इनाम होता होगा? बच्चा गलत करे तब हमें ‘तूने ऐसा क्यों किया? फिर ऐसा मत करना।’ इस तरह नाटकीय रूप से कहना चाहिए; नहीं तो बच्चा समझेगा कि वह जो कुछ कर रहा है वह ‘करेक्ट’ ही है, क्योंकि पिता ने ‘एक्सेप्ट’ किया है। ऐसा नहीं बोलने के कारण ही घरवाले मुँहफट हो गए। सब कुछ कहना, लेकिन नाटकीय! हमें अपना रोल बिना किसी राग-द्वेष के पूरी तरह निभाना चाहिए।
१) जब आप बच्चों को डाँटोगे, तो वह जैसा है वैसा-साफ-साफ (स्पष्ट) नहीं बताएगा और कपट करेगा। जगत में ये सारे कपट डाँटने से ही पैदा हुए हैं।
२) जब आप अपने बच्चों पर चिढ़ते हो, तब आप अपने अगले भव के लिए नए कर्म बाँध रहे होते हैं। जब तक आपको चिढ़ने पर कोई पीड़ा का अनुभव नहीं होता तब तक उसमें कुछ गलत भी नहीं है। यह नाटकीय होना चाहिए।
Q. बच्चों के विकास में माता-पिता की भूमिका क्या है?
A. अपने पहले बच्चे की परवरिश के समय हम इतने पारंगत नहीं होते। जब आप अपने बच्चे की पसंद और नापसंद के... Read More
A. बच्चों के साथ वार्तालाप करने के लिए दादाश्री ने कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई हैं: माता-पिता को इस... Read More
Q. कैसे बात करें कि बच्चे आपकी बात सुने?
A. बहुत सारे माता-पिता को यह शिकायत रहती है कि उनके बच्चे उनकी बात नहीं सुनते हैं। जब आप फोन पर बात कर... Read More
Q. बच्चों को जितना हो सके जंक फूड कम खाने के लिए कैसे मार्गदर्शन करें?
A. वर्तमान समय में बच्चे विकासशील दुनिया और आधुनिक भोजन से प्रभावित हो रहे हैं। वे करी और रोटी के बजाय... Read More
A. बच्चों को अनुशासित करना, उनकी परवरशि करना एक कला है। बच्चों में अच्छे संस्कार डालने के लिए हमें... Read More
Q. जिद्दी एवं गुस्सैल बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करें?
A. क्या आप अपने बच्चे के गुस्सैल स्वभाव से थक चुके हैं? आपके जिद्दी, गुस्सैल, चिड़चिड़े बच्चों को... Read More
Q. ज़िद्दी या अवज्ञाकारी बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करें?
A. जब आपके और बच्चों के बीच टकराव हो तब क्या करना चाहिए? जब बच्चा रोए तब क्या करना चाहिए? आइए बच्चों... Read More
Q. बच्चों के सामने माता-पिता का व्यवहार कैसा होना चाहिए?
A. दो मन हमेशा एकमत नहीं हो सकते। इस कारण माता-पिता के विचारों में अंतर होता है - एक सख्त होता है तो... Read More
Q. बच्चों के ऊपर चिल्लाना किस तरह बंद करें? किच-किच कैसे बंद करें?
A. सारा दिन कलह करने के बाद भी आखिर में कोई सुधार नहीं होता देखकर आप थक जाते हैं। तो, अपने बच्चों पर... Read More
Q. बच्चों की बुरी आदतें कैसे छुड़ाएँ ?
A. क्या आप जानना चाहते हैं कि अपने बच्चों की बुरी आदतों को कैसे छुड़ाएँ? तो, आइए जानते हैं। नीचे की... Read More
Q. बच्चों के शिक्षण में माता-पिता की क्या भूमिका है?
A. आज के युग में बच्चों की शिक्षा अनिवार्य है। तो, बच्चों की शिक्षा में माता-पिता की क्या भूमिका है?... Read More
Q. टीनएजर्स के साथ माता-पिता को कैसा व्यवहार करना चाहिए?
A. दो पीढ़ियों के बीच के अंतर को कम करने के लिए माता-पिता को पहल करनी होगी। जब बच्चा सोलह वर्ष का हो... Read More
Q. बच्चों को नैतिक मूल्य कैसे सिखाएँ?
A. एक अच्छे माता-पिता की क्या भूमिका होती है? उन्हें अपने बच्चे को इस प्रकार तैयार करें कि पंद्रह साल... Read More
Q. माता-पिता और बच्चों के बीच का संबंध कैसे मज़बूत करें?
A. माता-पिता और बच्चों का संबंध दुतरफा होता है। संबंध मजबूत बनाने के लिए माता-पिता और बच्चों, दोनों को... Read More
Q. वसीहत में बच्चों को कितना देना चाहिए?
A. लक्ष्मी (पैसों) को अच्छे कार्य में खर्च करना चाहिए और बच्चों के लिए बहुत अलग मत रखना। चाहे वे... Read More
Q. बच्चों के लिए की गई प्रार्थना में कितनी शक्ति है? बच्चों के लिए प्रार्थना कैसे करें?
A. हम सभी जानते हैं कि हमें बच्चों पर गुस्सा नहीं करना चाहिए, उन्हें दुःख (चोट) पहुँचाने वाले शब्द... Read More
subscribe your email for our latest news and events