क्या आप जानना चाहते हैं कि अपने बच्चों की बुरी आदतों को कैसे छुड़ाएँ? तो, आइए जानते हैं।
नीचे की परिस्थितियों पर ध्यान दें और प्रत्येक कार्य के पीछे क्या कारण हो सकता है इसके बारे में विचार करें।
उपरोक्त सभी परिस्थितियों में, ऐसा कौनसा सामान्य कारक (कारण) है जो बच्चों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है ?
बच्चों की बुरी आदतें छुड़ाने के लिए इस चाबी का प्रयोग करना चाहिए। जब कोई बच्चा चोरी करता है, या उसकी कोई बुरी आदत है तो माता-पिता को उसे डाँटना नहीं चाहिए बल्कि उसकी समझ को बदलने का प्रयत्न करना चाहिए। प्रत्येक कार्य एक परिणाम है। जब कारण बदलता है तो परिणाम अपने आप बदल जाता है। उसके बजाय आप परिणाम पर ही ध्यान केंद्रित करते हो और यह कहते फिरते हो कि “मेरा बच्चा तो ऐसा है, बेकार है, चोर है,” फिर बच्चा क्या करता है? वह मन में गाँठ बाँध लेता है कि, ‘उन्हें जो कहना है कहने दो, मैं तो अपनी मर्जी के अनुसार ही करूँगा।’ इस प्रकार माता-पिता अपने बच्चों को और भी (चोर बना) बिगाड़ देते हैं। इसलिए, उसने जो भी किया है उसे नज़रअंदाज करके उसका भाव बदलने का प्रयास करो! उसके अभिप्राय को बदलो!
उनके सिर पर प्रेम से हाथ फेरकर कहो, “यहाँ आओ बेटा जिस तरह आप किसी के पैसे चुराते हो, उसी तरह यदि कोई आपकी जेब से पैसे निकाल ले तो क्या आपको अच्छा लगेगा? उस समय आपको कितना दुःख होगा? उसी तरह, क्या उसे दुःख नही होता होगा?” इस तरह बच्चों को विस्तार से समझाना चाहिए। जब आप उसके सिर पर हाथ फेरते हो तो वह बहुत अच्छा महसूस करता है। उसे सुकून मिलता है। फिर कहना, “बेटा, हम एक प्रतिष्ठित परिवार से हैं,” फिर उसका भाव बदलेगा, कि ‘वास्तव में ऐसा करना अच्छा नहीं है।’
इसके अतिरिक्त, आप नीचे बताए गए तरीकों से अपने बच्चे की बुरी आदते छुड़वाने में मदद कर सकते हो।
बच्चे को यह प्रतीति बैठ जानी चाहिए कि चोरी करना अच्छा नहीं है। स्टेप 2 से उसकी यह मान्यता और अधिक दृढ़ होगी।
उसे यह विश्लेषण करने दो कि चोरी करने से क्या फायदा होगा और यदि वह पकड़ा जाएगा तो उसके क्या परिणाम होंगे। उदाहरण के तौर पर, बच्चे ने चॉकलेट खरीदने के लिए अपने मित्र के बैग में से 10 रुपये चुराए हैं। मनचाही चॉकलेट खरीद कर खाने से उसे खुशी होगी। उससे प्रेम से पूछो कि चोरी करते समय उसे कैसा लगा। क्या उसे पकड़े जाने का डर लग रहा था? क्या उसने चोरी के परिणामों के बारे में सोचा? इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उसके दिल में भारीपन महसूस हुआ या हल्कापन? अगर वह पकड़ा गया तो क्लास में उसकी क्या हालत होगी? क्या कोई उस पर फिर से भरोसा करेगा, आदि।
आप उसे यह कहकर आश्वस्त भी कर सकते हैं कि यदि उसे किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो, अपने आप को परेशानी में डालने की बजाय वह अपने माता-पिता को उसे पाने के लिए मना सकता है।
परम पूज्य दादाश्री द्वारा बताए अनुसार, प्रतिक्रमण तीन चरणों की प्रक्रिया है जो सभी प्रकार की गलतियों और किसी को दुःख दिया हो, उसे धो देती है। और अगले जन्म के कर्म के हिसाब को भी जड़ से खत्म करने में मदद करती है।
जब भी बच्चा एक ही तरह की गलती बार-बार दोहराता है तो यह ध्यान रखें कि वह गलतियों का रक्षण ना करे। वह स्वीकार करे कि यह उसकी गलती है और ऐसा फिर कभी नहीं होगा। उदाहरण के लिए, जब वह चोरी करे और कहे कि ‘परिक्षा के लिए पेन खरीदना जरूरी था और उस समय यह करना आवश्यक था।’ यदि उसे ऐसा लगता है कि ऐसी परिस्थिति में चोरी करना सही था, तो वह अपनी गलती का रक्षण कर रहा है। गलतियों का रक्षण करने से वे कभी खत्म नहीं होती। इसलिए कारण चाहे जो भी हो, उसकी मान्यता यही होनी चाहिए कि चोरी करना गलत है। उसका भाव शुद्ध होने पर भी ऐसा हो सकता है कि उसके द्वारा हुई क्रिया (पिछली भाव का परिणाम) गलत हो लेकिन यदि वह क्रिया(कार्य) का पक्ष नहीं लेगा तो गलतियों की तीव्रता कम होगी और एक दिन उसका अंत आएगा। माता-पिता को प्रेम और धैर्य रखना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनके बच्चे उपरोक्त दिए गए तरीकों को अपनाकर अपनी गलतीयों पर काम करें।
परम पूज्य दादाश्री के बताए अनुसार बच्चों को प्रतिक्रमण करना सिखाएँ।
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