मनुष्यदेह में आने के बाद अन्य गतियों में जैसे कि देव, तिर्यंच अथवा नर्क में जाकर आने के बाद फिर से मनुष्य देह प्राप्त होता है। और भटकन का अंत भी मनुष्य देह में से ही मिलता है। यह मनुष्यदेह जो सार्थक करने आया तो मोक्ष की प्राप्ति हो सके ऐसा है और नहीं आए तो भटकने का साधन बढ़ा दे, वैसा भी है! दूसरी गतियों में केवल छूटता है। इसमें दोनों ही हैं। छूटता है और साथ साथ बंधता भी है। इसलिए दुर्लभ मनुष्यदेह प्राप्त हुआ है, तो उससे अपना काम निकाल लो। अनंत अवतार आत्मा ने देह के लिए बिताए। एक अवतार यदि देह आत्मा के लिए निकाले तो काम ही हो जाएगा!
मनुष्यदेह में ही यदि ज्ञानी पुरुष मिलें तो मोक्ष का उपाय हो जाए। देवता भी मनुष्यदेह के लिए तरसते हैं। ज्ञानी पुरुष से भेंट होने पर, तार जुड़ने पर, अनंत जन्मों तक शत्रु समान हुआ देह परम मित्र बन जाता है! इसलिए, इस देह में आपको ज्ञानी पुरुष मिले हैं, तो पूरा-पूरा काम निकाल लो। पूरा ही तार जोड़कर तड़ीपार उतर जाओ।
1) वे इफेक्ट पूर्ण होते हैं, तब 'बेटरियों' से हिसाब पूरा हो जाता है। तब तक वे बेटरियाँ रहती हैं और फिर खतम हो जाती हैं, उसे मृत्यु कहते हैं। पर तब फिर अगले जन्म के लिए भीतर नयी बेटरियाँ चार्ज हो गई होती हैं। अगले जन्म के लिए भीतर नयी बेटरियाँ चार्ज होती ही रहती है और पुरानी 'बेटरियाँ' 'डिस्चार्ज' होती है।
2) मृत्यु के बाद जन्म और जन्म के बाद मृत्यु है, बस। यह निरंतर चलता ही रहता हैं! अब यह जन्म और मृत्यु क्यों हुए हैं? तब कहे कॉज़ेज़ एन्ड इफेक्ट, इफेक्ट एन्ड कॉज़ेज़, कारण और कार्य, कार्य और कारण। उसमें यदि कारणों का नाश करने में आए, तो ये सारे 'इफेक्ट' बंद हो जाएँ, फिर नया जन्म नहीं लेना पड़ता है!
3) हस्ताक्षर बिना मरण भी नहीं, पर कुदरत का नियम ऐसा है कि किसी भी मनुष्य को यहाँ से ले जा सकते नहीं हैं। मरनेवाले के हस्ताक्षर बिना उसे यहाँ से ले जा सकते नहीं है।
Book Name: मृत्यु समय, पहले और पश्चात... (Page #43 Paragraph #4 to #5)
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