अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
एक आदमी मुझ से सलाह पूछ रहा था कि मुझे देना है तो किस प्रकार दूँ? तब मैंने सोचा, इसे पैसे देने की समझ नहीं है। मैंने कहा, 'तेरे पास पैसे हैं?' उसने कहा, 'हाँ' तब मैंने बताया कि 'इस प्रकार देना।' मैं जानूँ कि यह आदमी दिल का बहुत सा़फ है और भोले दिल का है। उसे सच्ची समझ दो।
बात कुछ ऐसी थी कि हम एक सज्जन के यहाँ गए थे। उसने एक आदमी मुझे छोड़ने के लिए भेजा। केवल छोड़ने के लिए ही। उसने डॉक्टर से कहा कि दादाजी को गाड़ी में छोड़ने आप मत जाना, मैं छोड़ आऊँगा।' इस तरह छोड़ने के लिए आए और उसमें बातचीत हुई। वह आदमी मुझसे सलाह माँग रहे थे कि 'मुझे पैसे देने हैं तो कहाँ पर देने, कैसे देने?' 'बंगला बनवाया है, तब पैसे तो कमाए होंगे?' फिर तब बोले, 'बंगला बनवाया, सिनेमा थियेटर बनवाया। अभी सवा लाख रुपये तो मेरे गाँव में दान में दिए हैं।' तब मैंने कहा कि 'अधिक कमाए हों, तो एकाध आप्तवाणी छपवा देना।' तुरन्त ही उसने कहा, 'आपके कहने की देर है, यह तो मुझे मालूम ही नहीं था। मुझे कोई समझाता ही नहीं है।' फिर कहता है, 'इस महीने में तुरंत ही छपवा दूँगा।' फिर जाकर पूछने लगा कि कितना खर्च होगा? तब कहा कि 'बीस हज़ार होंगे।' तुरंत ही कहता है कि 'इतनी पुस्तकें मुझे छपवा देनी हैं।' मैंने जलदी करने का मना किया उस भाई को।
यानी ऐसे भले आदमी हों न जिन्हें दान देने का समझ में नहीं आता हो, और वह भी पूछे तो उसे बताते हैं। हमें पता है कि यह भोला है। उसे समझ में नहीं आता है तो उसे बताते हैं। बाकी समझदार को तो हमें कहने की ज़रूरत ही नहीं न! नहीं तो उसे दुःख होगा। और दुःख हो ऐसा हमें चाहिए नहीं। यहाँ पैसों की ज़रूरत ही नहीं है। सरप्लस हो तब ही देना, क्योंकि ज्ञानदान जैसा कोई दान ही नहीं है जगत् में!
क्योंकि ये ज्ञान की किताबें कोई पढ़े, तो उसमें कितना सारा परिवर्तन हो जाए। इसलिए हों तो देना, नहीं हों, तो अपने यहाँ कोई ज़रूरत ही नहीं है वहाँ पर!
Q. दान/परोपकार के क्या लाभ हैं?
A. प्रश्नकर्ता : लोग दान क्यों देते हैं? दादाश्री : लोग दान इसलिए देते हैं क्योंकि उन्हें बदले में कुछ चाहिए। एक व्यक्ति सुख देता हैं क्योंकि उसे बदले में...Read More
Q. दान/परोपकार के प्रकार क्या हैं?
A. बदले हुए प्रवाहकी दिशाएँ कितने प्रकार के दान हैं, यह जानते हो आप? चार प्रकार दान के हैं। देखो! एक आहारदान, दूसरा औषधदान, तीसरा ज्ञानदान और चौथा...Read More
Q. पैसे और दान के बीच क्या संबंध है?
A. प्रश्नकर्ता : दान के इन चारों विभागों में क्या पैसों का कोई स्थान नहीं हैं? दादाश्री : पैसों का दान, ज्ञान-दान में आ जाता हैं। जब पैसों का उपयोग उन...Read More
A. प्रश्नकर्ता : 'अतिरिक्त'(सरप्लस) से आप क्या कहना चाहते हैं? दादाश्री : अतिरिक्त का मतलब, आप दो और फिर अगले दिन आपको उसकी चिंता न हो। आप तभी देना, जब आपको...Read More
Q. दान कैसे करें? परोपकार कैसे करें?
A. पैसे खर्च हो जाएँगे, ऐसी जागृति रखनी ही नहीं चाहिए। जिस समय जो खर्च हो वह सही। इसलिए पैसे खर्च करने को कहा ताकि लोभ छूटे और बार-बार दे सकें। उपयोग, वह...Read More
A. प्रश्नकर्ता : आत्मार्थी के लिए तो कीर्ति अवस्तु है न? दादाश्री : कीर्ति तो बहुत नुकसानदायक वस्तु है। आत्मा के रास्ते पर कीर्ति तो उसकी बहुत फैलती है, पर...Read More
Q. मंदिर के लिए दान देने का महत्व क्या है?
A. प्रश्नकर्ता : हम मंदिर में गए थे न, वहाँ लोग करोड़ों रुपये पत्थरों के पीछे खर्च करते हैं। और भगवान ने कहा है कि ये जीते-जागते अंतर्यामी जो प्रत्येक जीव...Read More
Q. गरीबों को दान देने के क्या फायदे हैं?
A. प्रश्नकर्ता : मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए मनुष्य किसी गरीब, किसी अशक्त की सेवा करे या भगवान की भजना करे या फिर किसी को दान दे? क्या करना...Read More
Q. पैसों का योग्य उपयोग कैसे करें?
A. प्रश्नकर्ता : पर मानो कि किसी के पुण्य कर्म से उसके पास लाखों रुपये हो जाएँ, तो उसे गरीबों में बाँट देना या फिर खुद ही उपयोग करना? दादाश्री : नहीं, वे...Read More
Q. क्या काला धन दान में देना चाहिए ?
A. निहाई की चोरी, सूई का दान प्रश्नकर्ता : कई ऐसा कहते हैं कि दान करे तो देव बनता है, वह सही है? दादाश्री : दान करें, फिर भी नर्क में जाएँ, ऐसे भी हैं।...Read More
subscribe your email for our latest news and events