अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
ये कोई पेड़ अपने फल खुद खाता है? नहीं! इसलिए ये पेड़ मनुष्य को उपदेश देते हैं कि आप अपने फल दूसरों को दो। आपको कुदरत देगी। नीम कड़वा ज़रूर लगता है, पर लोग उगाते हैं ज़रूर। क्योंकि उसके दूसरे लाभ हैं। वर्ना पौधा उखाड़ ही डालते। पर वह दूसरी तरह से लाभकारी है। वह ठंडक देता है, उसकी दवाई हितकारी है, उसका रस हितकारी है। सत्युग में लोग सामनेवाले को सुख पहुँचाने का ही प्रयोग करते थे। सारा दिन 'किसे ओब्लाइज करूँ' ऐसे ही विचार आते।
बाहर कम हो तो हर्ज नहीं, मगर अंदर का भाव तो होना ही चाहिए अपना कि मेरे पास पैसे हैं, तो मुझे किसी का दुःख कम करना है। अ़क्ल हो, तो मुझे अ़क्ल से किसी को समझाकर भी उसका दुःख कम करना है। खुद के पास जो सिलक बाकी हो उससे हेल्प करना, या तो ओब्लाइजिंग नेचर तो रखना ही। ओब्लाइजिंग नेचर यानी क्या? दूसरों के लिए करने का स्वभाव!
ओब्लाइजिंग नेचर हो, तो कितना अच्छा स्वभाव होता है! पैसे देना ही ओब्लाइजिंग नेचर नहीं है। पैसे तो हमारे पास हों या न भी हों। पर हमारी इच्छा, ऐसी भावना हो कि इसे किस प्रकार हेल्प करूँ। हमारे घर कोई आया हो तो, उसकी कैसे कुछ मदद करूँ, ऐसी भावना होनी चाहिए। पैसे देने या नहीं देने, वह आपकी शक्ति के अनुसार है।
पैसों से ही ओब्लाइज किया जाए ऐसा कुछ नहीं है, वह तो देनेवाले की शक्ति पर निर्भर करता है। खाली मन में भाव रखना है कि किस तरह 'ओब्लाइज' करूँ? इतना ही हमेशा रहे , उतना देखना है।
A. प्रश्नकर्ता : जीवन सात्विक और सरल बनाने के क्या उपाय हैं? दादाश्री : तेरे पास जितना हो उतना ओब्लाइजिंग नेचर रखकर लोगों को देते रहना। ऐसे ही जीवन सात्विक...Read More
A. इसका मुख्य साइन्स क्या है कि मन-वचन-काया परोपकार में लगा दें, तो आपके यहाँ हर एक चीज़ होगी। परोपकार के लिए करो, और यदि फीस लेकर करो तो? प्रश्नकर्ता :...Read More
Q. दूसरों की मदद क्यों करनी चाहिए?
A. यह लाइफ यदि परोपकार के लिए जाएगी तो आपको कोई भी कमी नहीं रहेगी। किसी तरह की आपको अड़चन नहीं आएगी। आपकी जो-जो इच्छाएँ हैं, वे सभी पूरी होगी और ऐसे उछल-कूद...Read More
A. प्रश्नकर्ता : लोकसेवा करते-करते उसमें भगवान के दर्शन करके सेवा की हो तो वह यथार्थ फल देगी न? दादाश्री : भगवान के दर्शन किए हों, तो लोकसेवा में फिर पड़ता...Read More
Q. अच्छे हो या बुरे, सभी लोगों की मदद करें
A. प्रश्नकर्ता : दिल को ठंडक पहुँचाने जाएँ तो आज जेब कट जाती है। दादाश्री : जेब भले ही कट जाए। वह पिछला हिसाब होगा जो चुक रहा है। पर आप अभी ठंडक देंगे तो...Read More
Q. माता-पिता की सेवा या भगवान की सेवा?
A. माँ-बाप की सेवा करना वह धर्म है। वह तो चाहे कैसे भी हिसाब हो, पर यह सेवा करना हमारा धर्म है और जितना हमारे धर्म का पालन करेंगे, उतना सुख हमें उत्पन्न होगा।...Read More
Q. माता-पिता की सेवा क्यों करनी चाहिए?
A. प्रश्नकर्ता : अभी जो माँ-बाप की सेवा नहीं करते हैं, उसका क्या? तो कौन-सी गति होती है? दादाश्री : माँ-बाप की सेवा नहीं करें वे इस जन्म में सुखी नहीं होते...Read More
Q. क्या मानवता मुक्ति की ओर ले जाती है?
A. प्रश्नकर्ता : मोक्षमार्ग, समाजसेवा के मार्ग से बढ़कर कैसे है? यह ज़रा समझाइए। दादाश्री : समाज सेवक से हम पूछें कि आप कौन हो? तब कहें, मैं समाजसेवक हूँ।...Read More
Q. खुद की सेवा का क्या मतलब है?
A. प्रश्नकर्ता : पर खुद की सेवा करने का सूझना चाहिए न? दादाश्री : वह सूझना आसान नहीं है। प्रश्नकर्ता : वह कैसे करें? दादाश्री : वह तो खुद की सेवा करते हों,...Read More
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