जब तक आपके ध्यान में ऐसा रहेगा कि ‘शेर हिंसक है’, तब तक वह हिंसक ही रहेगा और ‘शेर शुद्धात्मा है’ ऐसा ध्यान में रहेगा तो वह हिंसक नहीं रहेगा। कुछ भी हो सकता है!
परम पूज्य दादा भगवान
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व्यवहार शुद्धि के बगैर स्यादवाद वाणी नहीं निकल सकती।