जब अज्ञान खत्म होता है तभी से मुक्ति का अनुभव होता है। अज्ञान से बंधन है। किस चीज़ का अज्ञान? खुद को खुद अपने बारे में अज्ञान है। कृष्ण भगवान ने इसे गुह्यतम ‘विज्ञान’ कहा है। जब कोई गुह्य को ही नहीं समझ सकता तो गुह्यतर व गुह्यतम कैसे समझ सकेगा?
परम पूज्य दादा भगवानsubscribe your email for our latest news and events