मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो विभिन्न समाज में रहते हुए विकसित हुआ है। सामाजिक संबंध आपसी विकास और संतोष का आधार बनते हैं। हालाँकि, बहुत से लोग हैं जो अकेले रहते हैं और अभी भी खुश हैं। उन्हें देखकर हमारे मन में एक सवाल उठ सकता है, ''क्या उन्हें अकेलापन महसूस नहीं होता?''
अकेलापन या अकेला रहना वह अकेला होना नहीं है; इसका मतलब है कि आप अकेला महसूस कर रहे हैं। जब आप भीड़ के बीच होते हैं तब भी यह अनुभति ट्रिगर हो सकती है। अकेलेपन का अर्थ है कि स्वयं से, दूसरों से और समाज से खुद को अलग महसूस करते हैं।
"मैं अकेला हूँ" की अनुभति एक ऑक्टोपस की तरह है जो किसी को उदास महसूस करने और नेगेटिविटी के अंधेरे आवरण में फंसने के लिए अपनी मजबूत बाहों से घेर लेती है। यह कड़वी अनुभति आमतौर पर कठिन समय में अधिक अनुभव की जाती है, जैसे कि कोविड -१९ महामारी और युद्ध के दौरान ! जिस क्षण हमे अकेलापन अनुभव होने लगता हैं, हमारा पूरा ध्यान उसी पर जाता है और फिर हम केवल भुगतने के लिए उसके आगे झुक जाते हैं।
कोई अकेला और अकेलेपन क्यों महसूस करते है?
किसी पारिवारिक मुद्दों या व्यक्तिगत असंतोष के कारण भी कोई अलग-थलग अनुभव कर सकता है। कई बार इस तरह के अनुभति का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है। हालांकि, यह समझना आवश्यक है कि अकेलापन और निराशा बाहरी परिस्थितियों से नहीं बल्कि हमारी आंतरिक धारणाओं के कारण होता है।
ज्यादातर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह सोचता है कि समाज में कोई भी उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। हालांकि, सच यह है कि वह खुद को स्वीकार नहीं करता, जिस कारण खुद के प्रति नेगेटिविटी और जबरदस्त दुःख लाता है।
यह खुद का सम्मान न करना, दूसरों की अपेक्षाओं के कारण खुद पर तनाव और दबाव डालना का परिणाम है। जब हम दूसरों के सोचने के तरीके के साथ एडजस्ट होने में असफल होते हैं, तो हम भीतर से निराश महसूस करते हैं। भले ही हम अपने आसपास के लोगों से जुड़ना चाहते हैं, लेकिन हम नहीं कर सकते। यह भीतर की अशक्ति हमे नेगेटिव विचारों की और ले जाती है।
अक्रम विज्ञान ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो बताता है अकेलापन अनुभव करने का मूल कारण खुद की सच्ची समझ की कमी है।
अकेलेपन का सामना करना
अकेलापन अनुभव होने पर क्या करें? अकेलापन महसूस करना कैसे बंद करें? यहाँ अच्छी बात यह है कि अकेलेपन से बाहर आने के लिए कुछ सरल, व्यावहारिक उपाय हैं।
१) स्वीकार करना और उसका सामना करना :
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स्वीकार करना : कुछ लोग अपने दुख को भूलने के लिए, दूसरी क्रियाएँ में जैसे सिनेमा देखना, खाना खाने इत्यादि में ख़ुद को मग्न कर देते हैं। हालाँकि, ये केवल थोड़ी देर का विकर्षण है जो व्यक्ति को व्यस्त महसूस कराते हैं, अकेलेपन से एक लाक्षणिक राहत देते हैं। हालाँकि, जब कोई देखना या खाना बंद कर देता है, तो अकेलेपन की वही अनुभूति फिर से सामने आती है। इसका अर्थ यह है कि हम इस अनुभूति को स्वीकार नहीं कर रहे हैं बल्कि इससे दूर भाग रहे हैं। इस प्रकार, "मैं अकेला महसूस कर रहा हूँ" को स्वीकार करना इसे दूर करने का पहला कदम है। तभी हमें इससे बाहर निकलने का उपाय मिल सकता है।
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नेगेटिव विचारों का सामना करना: नेगेटिव विचार हमे तभी तक वश में करते है जब तक हम उन्हें अपने भीतर रहने देते है ! उनकी बात नहीं सुनना और तुरंत उन्हें पॉज़िटिव विचारों में परिवर्तित करने से हमारे निश्चय और आत्मविश्वास को बेहतर बनाने में मदद करता है। सही समझ और पॉज़िटिविटी यहाँ प्रतिकार जैसा का काम करती है। यदि हम इनका उपयोग नहीं करेंगे तो हम इस नेगेटिविटी से कभी बाहर नहीं आ पाएँगे। जीवन के समान अवस्था से गुज़रने वाले महान लोगों की जीवन की प्रसंगो को प्रकाशित करने वाली आत्मकथाओं और पुस्तकों को पढ़कर, हम सही समझ और सकारात्मकता दोनों प्राप्त कर सकते हैं। तो अब, यदि आप अकेलापन अनुभव करते हैं, तो इससे निपटने के मार्ग के साथ-साथ इन स्रोतों से भी प्रेरणा लें।
२) आत्म-साक्षात्कार
खुद के बारे में गलतफ़हमी के साथ-साथ खुद की अज्ञानता से छुटकारा पाने की यह मुख्य चाबी है। जब हमें आत्मज्ञानी पुरुष से पता चलता है कि हम कौन हैं (हमारी वास्तविक पहचान), तब गहरा अँधेरा आंतरिक शान्ति में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार, आत्म-साक्षात्कार अकेलेपन को रोकने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।
भीतर से आंतरिक आनंद की अनुभूति होती है और आत्म-साक्षात्कार के बाद गलत या नकारात्मक भावनाओं से लड़ने की शक्ति दोगुनी हो जाती है। यह प्रत्यक्ष ज्ञानीपुरुष की कृपा के माध्यम से ही होता है। हजारों लोगों ने आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से इस शाश्वत आनंद का अनुभव किया है। आप भी, जल्द से जल्द इसके लिए नामांकन कर सकते हैं!