अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय...
प्रश्नकर्ता: फिर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ समझाइए।
दादाश्री: वासुदेव भगवान! अर्थात् जो वासुदेव भगवान नर में से नारायण बने, उन्हें मैं नमस्कार करता हूँ। जब नारायण हो जाते हैं, तब वासुदेव कहलाते हैं।
प्रश्नकर्ता: श्रीकृष्ण, महावीर स्वामी वे सभी क्या हैं?
दादाश्री: वे सभी तो भगवान हैं। वे देहधारी रूप में भगवान कहलाते हैं। वे भगवान क्यों कहलाते हैं कि भीतर संपूर्ण भगवान प्रकट हुए हैं। इसलिए हम उन्हें देह सहित भगवान कहते हैं।
और जो महावीर भगवान हुए, ऋषभदेव भगवान हुए वे पूर्ण भगवान कहलाते हैं। कृष्ण भगवान तो वासुदेव भगवान कहलाते हैं, उसमें कोई शक नहीं है न? वासुदेव यानी नारायण। नर में से जो नारायण हुए ऐसे भगवान प्रकट हुए थे। उन्हें हम भगवान कहते हैं।
नर में से नारायण
प्रश्नकर्ता: ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का ज़रा विशेष रूप से स्पष्टीकरण कीजिए।
दादाश्री: ये श्रीकृष्ण भगवान वासुदेव हैं, ऋषभदेव भगवान के समय से लेकर आज तक वैसे ही नौ वासुदेव हो चुके हैं। वासुदेव यानी जो नर में से नारायण बनें, उस पद को वासुदेव कहते हैं। तप-त्याग कुछ भी नहीं। उनके तो मारधाड़-झगड़े-तूफान सबकुछ उनके प्रतिपक्षी के साथ होते हैं। इसीलिए तो उनके प्रतिपक्षी के रूप में प्रतिवासुदेव जन्म लेते हैं। वे प्रतिनारायण कहलाते हैं। उन दोनों के झगड़े होते रहते हैं। और तब नौ बलदेव भी होते हैं। कृष्ण वासुदेव कहलाते हैं और बलराम (श्रीकृष्ण के बड़े भाई) वे, बलदेव कहलाते हैं। भगवान रामचंद्रजी वासुदेव नहीं कहलाते, रामचंद्रजी बलदेव कहलाते हैं। लक्ष्मण वासुदेव कहलाते हैं और रावण प्रतिवासुदेव कहलाते हैं। रावण पूज्य हैं। रावण खास पूजा करने योग्य हैं। लोग उनके पुतले जलाते हैं। भयंकर तरीक़े से जलाते हैं न! देखो न! ऐसा उल्टा ज्ञान जहाँ फैला हुआ है।
इस काल के वासुदेव यानी कौन? कृष्ण भगवान। इसलिए यह नमस्कार कृष्ण भगवान को पहुँचते हैं। उनके जो शासनदेव होंगे, उन्हें पहुँचते हैं।
वासुदेव पद, अलौकिक
वासुदेव तो कैसे होते हैं? एक आँख से ही लाखों लोग डर जाएँ ऐसी तो वासुदेव की आँखें होती हैं। उनकी आँखें देखकर ही डर जाएँ। वासुदेव पद का बीज कब पड़ेगा? वासुदेव होनेवाले हों तब कईं अवतार पहले से ऐसा प्रभाव होता है। वासुदेव जब चलते हैं तो धरती धमधमती है! हाँ, धरती के नीचे से आवाज़ आती है। अर्थात् वह बीज ही अलग तरह का होता है। उनकी हाज़िरी से ही लोग इधर-उधर हो जाते हैं। उनकी बात ही अलग है। वासुदेव तो मूलत: जन्म से ही पहचाने जाते हैं कि वासुदेव होनेवाले हैं। कई अवतारों के बाद वासुदेव होनेवाले हों, उसका संकेत आज से ही मिलने लगता है। तीर्थंकर नहीं पहचाने जाते मगर वासुदेव पहचाने जाते हैं। उनके लक्षण ही अलग तरह के होते हैं। प्रतिवासुदेव भी ऐसे ही होते हैं।
प्रश्नकर्ता: तो तीर्थंकर पिछले अवतारों में कैसे पहचाने जाते हैं?
दादाश्री: तीर्थंकर सीधे-सादे होते हैं। उनकी लाइन ही सीधी होती हैं। उनके दोष होते ही नहीं, उनकी लाइन में दोष आते ही नहीं और दोष आ भी जाएँ तो किसी भी तरह से (ज्ञान से) वापस, वहीं के वहीं आ जाते हैं। वह लाइन ही अलग है। जब कि वासुदेव तथा प्रतिवासुदेव में तो कईं अवतार पहले से ही ऐसे गुण होते हैं। वासुदेव होना यानी नर में से नारायण हुए कहलाते हैं। नर से नारायण यानी किस फेज़ से, जैसे कि जब पड़वा होता है तभी से पता नहीं चल जाता कि अब पूनम होनेवाली है। उसी प्रकार कईं अवतार पहले से पता चल जाता है कि ये वासुदेव होनेवाले हैं।
नहीं बोलना उल्टा, कृष्ण या रावण का
ये जो तिरसठ शलाका पुरुष कहलाते हैं न, उन पर भगवान ने मुहर लगाई कि ये सारे भगवान होने लायक हैं। इसलिए हम अकेले अरिहंत को भजें और इन वासुदेव को नहीं भजें तो वासुदेव भविष्य में अरिहंत होनेवाले हैं। यदि वासुदेव का उल्टा बोलेंगे तो फिर अपना क्या होगा? लोग कहते हैं न, ‘कृष्ण को ऐसा हुआ है, वैसा हुआ है...’ अरे, ऐसा नहीं बोलते। उनके बारे में कुछ मत बोलना। उनकी बात अलग है और तू जो सुनकर आया वह बात अलग है। क्यों जोखिमदारी मोल लेता हें? जो कृष्ण भगवान अगली चौबीसी में तीर्थंकर होनेवाले हैं, जो रावण अगली चौबीसी में तीर्थंकर होनेवाले हैं, उनकी बात करके जोखिमदारी क्यों मोल लेते हो?
Q. श्रीमद् भगवद् गीता का रहस्य क्या है? भगवद् गीता का सार क्या है?
A. गीता का रहस्य,यहाँ दो ही शब्दों में प्रश्नकर्ता: कृष्ण भगवान ने अर्जुन को किसलिए महाभारत का युद्ध लड़ने को कहा था? दादाश्री: भगवान को उस समय ऐसा बोलने का...Read More
Q. विराट कृष्ण दर्शन या विश्वदर्शन के समय अर्जुन ने क्या अनुभव किया था? और ये विराट स्वरुप क्या है?
A. अर्जुन को विराट दर्शन प्रश्नकर्ता: कृष्ण भगवान ने अर्जुन को विश्वदर्शन करवाया था, वह क्या है? दादाश्री: वह विश्वदर्शन, वह आत्मज्ञान नहीं है। ये कितने...Read More
Q. भगवद् गीता में श्री कृष्ण भगवान ने ‘निष्काम कर्म’ का अर्थ क्या समझाया है?
A. यथार्थ निष्काम कर्म प्रश्नकर्ता: निष्काम कर्म में किस तरह कर्म बँधते हैं? दादाश्री: ‘मैं *चंदूभाई हूँ’ करके निष्काम कर्म करने जाओ तो ‘बंधन’ ही है।...Read More
Q. ब्रह्म संबंध और अग्यारस का वास्तविक अर्थ क्या है? सच्ची भक्ति की परिभाषा क्या है?
A. ब्रह्मनिष्ठ तो ज्ञानी ही बनाते हैं ‘खुद’ परमात्मा है, लेकिन जब तक वह पद प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक ‘हम वैष्णव हैं और हम जैन हैं,’ ऐसा करते हैं। और फिर...Read More
Q. भगवद् गीता के अनुसार स्थितप्रज्ञा यानि क्या?
A. स्थितप्रज्ञ या स्थितअज्ञ? एक महापंडित हमारी परीक्षा लेने के लिए पूछने आए थे, ‘स्थितप्रज्ञ दशा क्या होती है?’ उन्होंने पूछा। मैंने उन्हें समझाया, ‘तू खुद...Read More
A. पुरुष और प्रकृति सारा संसार प्रकृति को समझने में फँसा है। पुरुष और प्रकृति को तो अनादि से खोजते आए हैं। लेकिन वे योें हाथ में आ जाएँ, ऐसे नहीं हैं। क्रमिक...Read More
Q. गोवर्धन पर्वत को छोटी ऊँगली पर उठाना – सत्य है या लोक कथा?
A. कृष्ण का गोवधर्न - गायों का वर्धन कृष्ण भगवान के काल में हिंसा बहुत बढ़ गई थी। तब कृष्ण भगवान ने फिर क्या किया? गोवर्धन पर्वत उठाया, एक उँगली से। अब...Read More
Q. ठाकोरजी की पूजा-भक्ति किस तरह करनी चाहिए?
A. ठाकुर जी की पूजा दादाश्री: पूजा करते समय तो कंटाला नहीं आता न? प्रश्नकर्ता: नहीं। दादाश्री: पूजा करते हो तो पूज्य पुरुष की करते हो या अपूज्य...Read More
Q. पुष्टिमार्ग का उद्देश्य क्या है? श्री कृष्ण भगवान को नैष्ठिक ब्रह्मचारी क्यों कहा गया है?
A. पुष्टिमार्ग क्या है? वल्लभाचार्य ने पुष्टिमार्ग निकाला। पाँच सौ सालों पहले जब मुसलमानों का बहुत कहर था, अपने यहाँ की स्त्रियाँ मंदिर में या बाहर कहीं भी...Read More
Q. कृष्ण भगवान का सच्चा भक्त कौन है? वास्तविक कृष्ण या योगेश्वर कृष्ण कौन हैं?
A. कृष्ण का साक्षात्कार प्रश्नकर्ता: मीरा को, नरसिंह को, कृष्ण का साक्षात्कार किस तरह हुआ था? दादाश्री: जो मीरा को और नरसिंह को दिखाई दिए वे कृष्ण नहीं थे,...Read More
Q. भगवद् गीता के अनुसार, जगत कौन चलाता है?
A. प्रकृति पर ईश्वर की भी सत्ता नहीं ! प्रश्नकर्ता: गीता का पहला वाक्य कहता है कि, ‘प्रकृति प्रसवे सृष्टि’।अर्थात भगवान ने गीता में यह कहा है कि मुझ से ही इस...Read More
Q. स्वधर्म और परधर्म किसे कहते हैं?
A. किस धर्म की शरण में जाएँ? प्रश्नकर्ता: सभी धर्म कहते हैं कि, ‘मेरी शरण में आओ’, तो जीव किसकी शरण में जाए? दादाश्री: सभी धर्मों का तत्व क्या है? तब कहते...Read More
A. अंतिम विज्ञान, प्रश्नोत्तरी के रूप में सारी गीता प्रश्नोत्तरी के रूप में है। अर्जुन प्रश्न करता है और कृष्ण भगवान उत्तर देते हैं। कृष्ण भगवान ने गीता में...Read More
Q. भगवान श्री कृष्ण की सत्य और लोक कथाएँ
A. भगवान रासलीला खेले ही नहीं। आपको किसने कहा कि भगवान रासलीला खेले थे? वे तो सारी बाते हैं। कृष्ण तो महान योगेश्वर थे। लोगों ने रासलीला में लाकर उनका...Read More
subscribe your email for our latest news and events