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मुझे क्यो भुगतना पड़ता है?

इन समाचारों में रोज़ आता हैं कि, 'आज टैक्सी में दो आदमियों ने किसीको लूट लिया, फलाँ फ्लेट मेंकिसी महिला को बाँधकर लूट लिया।' ऐसा पढ़कर हमें भड़कने की ज़रूरत नहीं है कि मैं भी लुट गया तो? ऐसा विकल्प, वही गुनाह है। इसके बजाय तू निंश्चंत होकर रह न! तेरा हिसाब होगा तो ले जाएगा, वर्ना कोई बाप भी पूछनेवाला नहीं है। इसलिए तू निर्भय होकर रह। ये अखबारवाले तो लिखेंगे, इससे क्या हम डर जाएँ? यह तो ठीक है कि बहुत कम डायवॉर्स होते हैं, लेकिन इसकी मात्रा बढ़ जाए तो सभी को शंका होने लगेगी कि हमारा भी डायवॉर्स होगा तो? एक लाख मनुष्य जिस जगह लूटे जाएँ, वहाँ पर भी आपको घबराने की ज़रूरत नहीं है। आपका कोई बाप भी ऊपरी नहीं है।

लूटनेवाला भुगतता है या जो लुट गया, वह भुगतता है? कौन भुगतता है यह देख लेना। लुटेरे मिले और लूट लिया। अब रोना मत, आगे प्रगति करना।

जगत् दुःख भुगतने के लिए नहीं है, सुख भोगने के लिए है। जिसका जितना हिसाब होगा, उतना होता है। कुछ लोग केवल सुख ही भोगते हैं, ऐसा क्यों? कुछ लोग सदा दुःख ही भुगतते रहते हैं, ऐसा क्यों? खुद ऐसा हिसाब लाया है, इसलिए।

'भुगते उसी की भूल' यह एक ही सूत्र घर की दीवार पर लिखा होगा तो भुगतते समय समझ जाओगे कि इसमें भूल किसकी है? इसलिए कई घरों में दीवार पर बड़े अक्षरों में लिखा रहता है कि, 'भुगते उसी की भूल'। फिर बात भूलेंगे ही नहीं न!

यदि कोई व्यक्ति पूरा जीवन यह सूत्र यथार्थता से समझकर इस्तेमाल करेगा तो उसे गुरु करने की आवश्यकता नहीं रहेगी और यह सूत्र ही उसे मोक्ष में ले जाएगा, ऐसा है।

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