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टीनेज में आत्महत्या के कारण क्या हैं? युवाओं में आत्महत्या का दर क्यों बढ़ रहा है?

Suicide Prevention

किशोरावस्था के समय को लड़के और लड़कियों के लिए व्यग्र और बेचैनी वाला समय माना जाता है, क्योंकि उन्हें किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तन की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह उनके जीवन का ऐसा समय होता है, जब वे अक्सर उलझनों, चुनौतियों, निर्बलता और अपने परिवार व मित्रों के बीच अकेलेपन का अनुभव करते हैं। अफसोस की बात यह है कि, इसी समय के दौरान, कुछ टीनेजर्स खुद के द्वारा अनुभव की गई समस्याओं का स्थायी समाधान आत्महत्या को मान बैठते हैं।

इसीलिए हम देखते हैं कि, मानसिक स्वास्थ्य के महत्त्व के बारे में माता-पिता और बच्चों को इस आशा के साथ जाग्रत किया जा रहा है कि, यदि अत्यधिक डिप्रेशन के लक्षणों की पहचान पहले ही कर ली जाए, तो युवाओं में आत्महत्या से होने वाली मृत्यु को रोका जा सकता है।     

भारी डिप्रेशन या आत्महत्या के विचारों के लक्षण हैं:

  • सेल्फ नेगेटिविटी, उलझनें और यह भावना कि लोग मुझे समझ नहीं पाएँगे।
  • सामाजिक और व्यक्तिगत रूप से सफल होने का अत्यधिक दबाव।
  • दूसरों के अनुसार ढलने और दूसरे हमें स्वीकार करें, इसका अत्यधिक दबाव।

टीनेज आत्महत्या का खतरा तब बढ़ जाता है, जब इन में से एक या अधिक बातें हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बाधा डालने लगती हैं।

नीचे बताए गए संयोग इन लक्षणों को उत्पन्न करने का कारण बन सकते हैं:

  • स्कूल में उत्कृष्ट प्रदर्शन का दबाव
  • माता-पिता का तलाक
  • किसी नए शहर या राज्य में जाना
  • रैगिंग
  • लोक धारणा
  • भावनात्मक उपेक्षा
  • नशे का सेवन
  • तनाव
  • मानसिक विकार
  • मानसिक या शारीरिक शोषण
  • माता-पिता द्वारा होने वाला शोषण
  • खराब जीवनशैली
  • मोबाइल फोन का दुरुपयोग

माता-पिता और टीनेजर्स के बीच का मज़बूत संबंध, यह युवाओं में आत्महत्या निवारण का मूल कारण है।

कभी-कभी टीनेजर्स और उनके माता-पिता ऐसा महसूस करते हैं, जैसे वे दोनों अलग दुनिया से हैं। दोनों तरफ से बहुत सारी अपेक्षाएँ होने के कारण उनकी एक-दूसरे के साथ बनती ही नहीं है। इसका परिणाम यह होता है कि, माता-पिता और टीनेजर्स के बीच गलतफहमियाँ रोज़मर्रा की बातें बन जाती हैं, जो आगे चलकर आर्ग्युमेंट्स के साइकिल में बदल जाती है; जिसके कारण उनके बीच दरारें बढ़ती जाती हैं।

इन दरारों को बढ़ने से रोकने और टीनेजर्स व माता-पिता के बीच प्रेमपूर्ण संबंध विकसित करने के लिए, दोनों पक्षों को एक-दूसरे के नज़रिए से चीज़ों को देखना चाहिए।

माता-पिता को अपने टीनेज बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

  • अपने बच्चे के बारे में कोई पूर्वधारणा न रखें; ओपन माइंडेड रहें।
  • उनके माता-पिता नहीं, बल्कि उनके मित्र बनें।
  • हमारे शब्दों से उन्हें दुःख न हो इसका ध्यान रखें; बोलने से पहले सोचें।
  • उनसे सभ्य और आदरपूर्ण तरीके से बात करें।
  • उन्हें बार-बार न टोकें।
  • वो क्या कहना चाहते हैं, उसे सुनें और उनके दृष्टिकोण को समझें।
  • जब वे हमारे आसपास हों, तब उन पर पूरा ध्यान दें; उनके जीवन में दिलचस्पी दिखाएँ।
  • जब वे कोई गलती करें, तब दोषारोपण या उनकी बुराई न करें। इसके बजाय, परिस्थिति शांत होने के बाद उन्हें समझाएँ कि वे क्या अलग कर सकते थे।
  • जैसा व्यवहार हम हमरे बच्चों से चाहते हैं, वैसा ही व्यवहार करें।
  • उनके बाहरी व्यवहार के बजाय, उनके अच्छे गुणों पर ज्यादा ध्यान दें।
  • शांत और निष्पक्ष रहें।
  • अपने बच्चों की भावनाओं को समझें।
  • बच्चों पर विश्वास करें; मन में संदेह या शक को स्थान न दें।
  • बच्चों को प्रेम से जीतें, ताकि वे हमें देखकर खुशी से खिल उठें और उसे कभी भी हमें छोड़ने का मन न हो।

टीनेज बच्चों को अपने माता-पिता के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

  • यह याद रखें कि, माता-पिता हमेशा अपने बच्चों का अच्छा ही चाहते हैं।
  • यह न भूलें कि, आपके माता-पिता ने आपके लिए कितना कुछ किया है। उनका उपकार मानें।
  • उनके साथ खुलकर बातचीत करें।
  • आपके माता-पिता जो कह रहे हैं, उसे सुनें।
  • कुछ बातों में समझौता करना सीखें।
  • अपने माता-पिता से झूठ न बोलें।
  • लक्ज़री आइटम्स या गैजेट्स के लिए माता-पिता से अनुचित माँग न करें। ज़रूरत की चीज़ें खरीदने से पहले हमेशा उनसे सलाह लें।
  • अपने माता-पिता के प्रति किसी तरह की नाराज़गी या द्वेष मन में न रखें।
  • अपने माता-पिता का नेगेटिव न देखें; पॉज़िटिव पर ध्यान केंद्रित करें।
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