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आत्महत्या के विचारों से कैसे निपटें?

किसी समय, हम सभी ने आत्महत्या के नेगेटिव विचारों का अनुभव किया होगा, जो हमें यह विचारने के लिए मजबूर करता है कि आत्महत्या के विचारों से कैसे निपटें? इस प्रकार के विचार तब उत्पन्न होते हैं जब हमारी समस्याएँ विकराल बन जातीं हैं या जब बहुत बुरी खबर मिलती है। वे हमारे मन की शांति को पूरी तरह नष्ट कर देते हैं।

कोई भी व्यक्ति ऐसे आत्महत्या के विचारों की इच्छा नहीं रखता है, पर हम उन्हें किस तरह टाल सकते हैं?

ऐसी कई चीज़ें हैं जो इस कठिन समय में आपकी सहायता और मदद रूप बन सकती है:

१. मन को समझना

मन को विचार करने से रोकना असंभव है। अच्छी या बुरी चीज़ें की जानकारी देना मन का कार्य है। इन विचारों का निर्माण पिछले जन्म में आपके ही द्वारा हुआ था। जब संजोग मिलते हैं तब उस हिसाब से उदय में आते हैं। इनमें से कुछ विचार तीव्र और हानिकारक हो सकते हैं, जैसे अपने जीवन को समाप्त करने का विचार। प्रत्येक विचार की तीव्रता आपके पिछले जन्म पर निर्भर करती है।

उदाहरण के रूप में, अगर आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे आप पसंद नहीं करते है, तो जब भी आप उनके बारे में सोचते है या उन्हें देखते है तो आप खुद ही उनके प्रति द्वेष भाव महसूस करेंगे। हालाँकि, आपका इरादा यह हो सकता है कि यह सही नहीं है। इसीलिए, आप अपना उनके प्रति अभिप्राय बदलते हैं क्योंकि आप मन के साथ सहमत नहीं हैं। क्योंकि आपके भीतर के भाव बदल गए होने से, अगले जन्म में कर्म के परिणाम कम भुगतने पड़ेंगे।

२. व्यावहारिक, आध्यात्मिक दृष्टि कोण अपनाएं

  • यह समझे कि आपके विचार आपके पिछले जीवन के हैं और उनका आपकी वर्तमान स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है
  • ‘मैं आपके साथ सहमत नहीं हूँ, मैं मरना नहीं चाहता हूँ’ यह कहकर आप अपने विचारों का विरोध कर सकते हैं।
  • हररोज दस मिनट बोलो कि मैं अनंत सुख का धाम हूँ ।
  • अपने नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों से बदलो।
  • विचारों के साथ एकाकार न हो, उन्हें जुदा देखे।

नीचे दिखाए गए त्वरित सुधार आज़माएँ:

  • दिन में पंद्रह मिनट के लिए कुछ अलग करें जैसे टहलने जाना, पढ़ना या कुछ या जिससे आपको खुशी मिले।
  • अपनी दिनचर्या में बदलाव करें।
  • याद रखें कि यह हमेशा के लिए ऐसा नहीं रहेगा।
  • आप जिस पर भरोसा करते हैं, उन्हें बताओ कि आप कैसा अनुभव कर रहे हैं। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में जबरदस्त शक्ति है। आपके मित्र और परिवार वाले आपकी सहायता करने में खुश होगे।
  • आपके विचार, आपके आंतरिक सुख को कैसे प्रभावित करते हैं उसका अवलोकन करें। आपको तुरंत महसूस होगा कि नकारात्मक विचारों का आप पर प्रभाव क्या पड़ता है!

ज्ञानी हमें मन को देखने और जानने की समज देते हैं, लेकिन कभी उसके साथ एकाकार होने को नहीं कहते। जैसे जब आप कोई फिल्म देख रहे हो तब, आप सुख और दु:ख दो प्रकार के दृश्य देखते हो, लेकिन जब फिल्म पूरी होती है, तब आप उन दृश्यों को जाने देते हो। वैसे ही, आपके मन में जो विचार आते हैं वे फिल्म की तरह होते हैं। उसमें आपको जुदापन अनुभव नहीं होने का कारण यह है कि आपने अभी तक ‘मैं कौन हूँ’ इस प्रश्न की खोज नहीं की है।

कई लोगों ने आत्म-साक्षात्कार (ज्ञानविधि) के प्रयोग के माध्यम से अपने वास्तविक स्वरूप का अनुभव किया है। वे कठिन समय में भी, आत्मा में रहकर आनंद का अनुभव करते हैं और दु:ख से अलग रहते हैं।

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