अक्रम विज्ञान, एक ऐसा आध्यात्मिक विज्ञान है जो व्यवहार में उपयोगी है और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक ‘शार्टकट’ रास्ता है।
अधिक पढ़ें“यदि खुद के स्वरूप को पहचान लिया तो फिर वह, खुद ही परमात्मा है |”
~ परम पूज्य दादा भगवान
दादा भगवान फाउन्डेशन प्रचार करता हैं, अक्रम विज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान का – आत्मसाक्षात्कार के विज्ञान का। जो परम पूज्य दादा भगवान द्वारा बताया गया है।
अधिक पढ़ेंअहमदाबाद से २० की.मी. की दूरी पर सीमंधर सिटी, एक आध्यात्मिक प्रगति की जगह है| जो "एक स्वच्छ, हरा और पवित्र शहर" जाना जाता है|
अधिक पढ़ेंअक्रम विज्ञानी, परम पूज्य दादा भगवान, द्वारा प्रेरित एक अनोखा निष्पक्षपाति त्रिमंदिर।
पॉज़िटिव ‘बोल’ के पॉज़िटिव असर!
एक भाई ने मुझे पूछा कि, ‘आपके जैसी मीठी वाणी कब होगी?’ तब मैंने कहा कि ‘ये सारे जो नेगेटिव शब्द हैं आपके, वैसा बोलना बंद होगा तब।’ क्योंकि हर एक शब्द उसके गुण-पर्याय सहित होता है।
हमेशा पोज़िटिव बोलो। भीतर आत्मा है, आत्मा की हाज़िरी है। इसलिए पोज़िटिव बोलो। पोज़िटिव में नेगेटिव नहीं बोलना चाहिए। पोज़िटिव हुआ, उसमें नेगेटिव बोलें, वह गुनाह है और पोज़िटिव में नेगेटिव बोलते हैं, इसलिए ये सारी मुश्किलें खड़ी होती हैं। ‘कुछ भी नहीं बिगड़ा है’ ऐसा बोलते ही भीतर कितना ही बदलाव हो जाता है। इसलिए पोज़िटिव बोलो।
वर्षों के वर्षों बीत गए, पर थोड़ा भी नेगेटिव नहीं हुआ है मेरा मन। थोड़ा भी, किसी भी संजोग में नेगेटिव नहीं हुआ है। ये मन यदि पोज़िटिव हो जाएँ लोगों के, तो भगवान ही बन जाएँ। इसलिए लोगों से क्या कहता हूँ कि यह नेगेटिविटी छोड़ते जाओ, समभाव से निकाल करके। पोज़िटिव तो अपने आप रहेगा फिर। व्यवहार में पोज़िटिव और निश्चय में पोज़िटिव नहीं और नेगेटिव भी नहीं!
Reference: Book Excerpt: वाणी व्यवहार में...(Page #9 - Paragraph #4 to #6)
जगत् में पॉजिटिव ही सुख देगा
टेपरिकार्ड और ट्रान्समीटर ऐसे तो कई साधन के आज आविष्कार हुए हैं। इसलिए बड़े-बड़े लोगों को डर रहता है कि किसी ने कुछ टेप कर लिया तो? अब इसमें तो केवल शब्द टेप होते हैं उतना ही है, किंतु मनुष्य का बॉड़ी, मन, सबकुछ टेप हो सके ऐसा है। उसका लोगों को ज़रा-सा भी डर नहीं है। यदि सामनेवाला नींद में हो और आप कहें कि, ‘यह नालायक है’ तो उसके अंदर वह टेप हो गया, वह फिर उसको फल देगा। मतलब, अगर कोई सो रहा हो तो भी उसके लिए उलटा नहीं बोल सकते। एक शब्द भी नहीं बोल सकते क्योंकि सब टेप हो जाए ऐसी यह मशीनरी है। यदि बोलना चाहें, तो अच्छा बोलना कि ‘साहब, आप बहुत अच्छे मनुष्य हैं।’ अच्छा भाव रखना, तो उसके फल स्वरूप आपको सुख मिलेगा। मगर ज़रा-सा भी उलटा बोले, चाहे अँधेरे में या अकेले में भी बोले, तो उसका फल कड़वे ज़हर जैसा आएगा। यह सब टेप ही हो जाएगा, इसलिए अच्छा टेप करवाइए।
प्रश्नकर्ता: कड़वा तो चाहिए ही नहीं।
दादाश्री: यदि आपको कड़वा चाहिए तो कड़वा बोलना, और अगर नहीं चाहिए तो वैसा नहीं बोलना। कोई मारे तो भी उसे कड़वा मत बोलना, उससे कहना कि, ‘तेरा उपकार मानता हूँ।’
भगवान ने तो कहा है कि इस काल में यदि आपको कोई गाली दे गया हो तो उसे खुद खाने पर बुलाना। चाहे कितना भी बुरा हो फिर भी उसे क्षमा करना। यदि ‘रिवेन्ज’ (बदला) लेने गए तो फिर संसार में खींचे जाएँगे। इस काल में ‘रिवेन्ज’ लेने का नहीं होता। इस कलियुग में सिर्फ बुराईयाँ ही होती है। कौन-से विचार नहीं आएँगे यह कहा नहीं जा सकता। किसी भी हद तक के विचार आ सकते हैं। इस काल के जीव तो बहुत भटकनेवाले हैं। इन लोगों के साथ बैर बाँधें तो हमें भी भटकना पड़े। इसलिए हम कहते हैं, ‘सलाम साहब।’ इस काल में तुरंत क्षमा कर देना, वर्ना आप संसार में खींचे जाएँगे। क्योंकि यह जगत् तो बैर से खड़ा है।
इस काल में किसी को समझाने जैसा नहीं है। यदि समझाना आए तो अच्छे शब्दों में समझाइए, कि जिससे वह टेप होने पर भी खुद पर जिम्मेदारी नहीं आए। इसलिए पॉजिटिव रहना। यह जगत् पॉजिटिव पर ही खडा है। जगत् में ‘पॉजिटिव’ ही सुख देगा और ‘नेगेटिव’ सब दु:ख देगा। इसलिए यह कितनी बड़ी जोख़िमदारी है?
दो ही वस्तुएँ हैं, ‘पॉजिटिव’ और ‘नेगेटिव’। यदि ‘नेगेटिव’ रुख़ रखें तो कुदरत किसे ‘हैल्प’ करेगी? हमारे शब्दकोश में ‘नेगेटिव’ शब्द नहीं होना चाहिए।
Reference: दादावाणी - Sep 2009 (Page #19 - Paragraph #5 to 10, Page #20 - Paragraph #1)
न केवल नकारात्मक वाणी, बल्कि नकारात्मक भाव भी रखने जैसा नहीं है, क्योंकि वाणी हमारे आतंरिक भाव का ही प्रतिघोष है | अधिक जानने के लिए यहाँ पढ़िए |
A. सामने बड़ी उम्रवाला हो न, तो भी उसे कहेंगे, ‘आपमें अक्कल नहीं है।’ इनकी अक्कल नापने निकले! ऐसा बोला जाता होगा? फिर झगड़े ही होंगे न! पर ऐसा नहीं बोलना चाहिए,...Read More
A. संयोग सुधारकर भेजो दादाश्री: कैसी है आपकी माताजी की तबियत? प्रश्नकर्ता: यों तो अच्छी है, लेकिन कल ज़रा बाथरूम में गिर गई थीं, बुढ़ापा है...Read More
Q. मेरे साथ क्यों ये नेगेटिव घटनाएँ घटी? पॉज़िटिव और नेगेटिव उर्जाएँ कैसे काम करती हैं?
A. परिणाम नियमन किस शक्ति के आधार पर? प्रश्नकर्ता: मेरी पत्नी के साथ मेरा जीवन बहुत सुखी था, तो भगवान ने अट्ठाईस साल की उम्र में ही उसे मुझसे क्यों छीन लिया,...Read More
Q. पहले कोई नेगेटिव होता है, बाद में वह पॉज़िटिव बन जाता है। इसके पीछे क्या कारण है?
A. करैक्ट पॉजिटिव पर आए, तब... प्रश्नकर्ता: दादाजी, ऐसा है कि सारी ज़िंदगी नेगेटिव ही देखा हो इसलिए वह नेगेटिव ही उसके लिए फिर पॉजिटिव के समान हो जाता है,...Read More
Q. क्या सकारात्मकता भगवान के पक्ष में?
A. पॉजिटिव लाइन वही भगवान का पक्ष प्रश्नकर्ता: नेगेटिववाला क्या फिर नास्तिक हो जाता है? दादाश्री: जिसे हम नास्तिक कहते हैं ऐसा इस जगत् में नास्तिक जैसा कुछ...Read More
Q. पॉज़िटिव अहंकार और नेगेटिव अहंकार क्या फल देता है?
A. परिणाम ‘अहंकार’, पॉजिटिव में या नेगेटिव में यदि संक्षेप में कहना चाहें तो आरोपित भाव, ‘मैं *चंदुलाल हूँ’, वह इगोइज़्म भाव है। यदि आपको सांसारिक सुख चाहिए...Read More
Q. नेगेटिव विचारों की क्या सीमा होनी चाहिए?
A. नेगेटिव सोचने की भी मर्यादा शक्तियाँ तो अंदर भरी पड़ी हैं। कोई कहे कि ‘मुझसे नहीं होगा’, तो वैसा हो जाए। इस नेगेटिव ने तो लोगों को मार डाला है। नेगेटिव...Read More
Q. नेगेटिव विचारों को पॉज़िटिव विचारों द्वारा कैसे खत्म करें?
A. नेगेटिव को उड़ा दीजिए पॉजिटिव से प्रश्नकर्ता: यदि पॉजिटिव विचार करे कि ‘मेरा अच्छा ही होनेवाला है, मुझे ऐसा होना है’ ऐसे पॉजिटिव विचार करने पर अच्छा ही...Read More
Q. क्या ओपन माइन्ड (खुला मन) पॉज़िटिव बनने में सहायरूप है? क्या ओपन माइन्ड पॉज़िटिव माइन्ड होता है?
A. ऑपन माइन्ड है पॉजिटिव गुण जितना माइन्ड ओपन (खुला मन) रखे उतना समझे कहलाए। माइन्ड जितना ओपन हुआ उतनी समझदारी कहलाए। कम समझदारीवाला संकुचित होता जाए। जिसका...Read More
Q. सारी परिस्थितियों को पॉज़िटिव तरीके से कैसे ले?
A. सम्यक् दृष्टि से नुकसान में भी मुनाफ़ा महावीर भगवान ने अपने शिष्यों को सिखलाया था कि आप जब बाहर जाएँ और लोग कभी लाठी से प्रहार करें तो हमें समझना है कि...Read More
Q. आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद, क्या हमारा जीवन पॉज़िटिव हो जाता है?
A. जागृति वही, जो दिखाए खुद के दोष प्रश्नकर्ता: ज्ञान मिलने के बाद जागृति आ जाती है उससे फिर धीरे-धीरे पूरे जीवन में बदलाव आता रहता है। दादाश्री: हाँ, बदलाव...Read More
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