जीवन, यह एक हमेशा चलते रहनेवाले प्रवाह की तरह है, जहाँ ढेर सारी खुशियों के बीच में दुःख भी आते हैं। बहुत सारी खुशियों के बाद, दुःख भी उतना ही आता है और यही चक्कर फिर से चालू होता है। यह एक कभी ना खत्म होनेवाला चक्र है। जीवन की परिस्थितियाँ तो पिछले कर्मों पर आधारित है, इसलिए किसी नकारात्मक (नेगेटिव) परिस्थिति से बच पाना संभव नहीं है, लेकिन खुद को इस परिस्थिति से भावनात्मक एवं आध्यात्मिक सहारे की मदद से बचाकर, इस नेगेटिविटी को पॉज़िटिविटी में बदला जा सकता है। क्या आपको इस भयावह उतार-चढ़ाववाले चक्र से निकलने का एक सच्चा रास्ता चाहिए? सकारात्मक दृष्टिकोण, यही इस की चाबी है!
सिर्फ सकारात्मक सोच ही हमें इस संसार में खुशियाँ दे सकती है, जबकि नकारात्मक सोच सिर्फ दुःख ही नहीं देती, बल्कि पूरी तरह तबाह कर देती है। हमारी हर सोच आनेवाली परिस्थिति के बीज बोती है, तो क्यों ना हम सकारात्मक सोच रखे, वैसे ही मीठे फल पाने के लिए? किसी मुश्किल घड़ी में यदि हम सकारत्मक रहे, तो वह दुःखदाई परिस्थिति को भी सुखदाई बना देती है। जब हमारा मन पॉज़िटिव होगा, तब हमें दिव्यता का अनुभव होगा क्योंकि सकारात्मकता वह निर्मलता की निशानी है और मन की निर्मलता, वही परम सुख है। भगवान महावीर ने कहा है कि जो पॉज़िटिव रहेगा वही मोक्ष की ओर आगे बढ़ सकता है, इसलिए नेगेटिविटी से बाहर निकलना अत्यंत आवश्यक है।
किसी दुःखद घटना के वक्त, सकारात्मक रहना मुश्किल है, तो ऐसे में हम नेगेटिविटी का किस तरह से सामना करें ताकि वह हमें नष्ट ना करे? नेगेटिव परिस्थितियों में डूबने से खुद को कैसे बचाएँ?
दादाश्री द्वारा दी गयी समझ और चाबियाँ किसी भी व्यक्ति को संसारी परिस्थितियों के बीच भी समताभाव में रहने के लिए पॉज़िटिविटी के प्रतीक समान है।
संसारी कठिनाइयों के बीच में रहकर, सकारात्मकता पर प्रभुत्व कैसे प्राप्त करें? परम सत्य की सही समझ से तथा दादाश्री की ज्ञान रूपी चाबी द्वारा आप अपने अशांति भरे जीवन में पॉज़िटिव रहकर एक साफ मन की चरम सीमा तक पहुँच सकते हैं।
Q. क्यों पॉज़िटिविटी (सकारात्मकता) हमें सुख देती है और नेगेटिविटी (नकारात्मकता) दुःख?
A. पॉज़िटिव ‘बोल’ के पॉज़िटिव असर! एक भाई ने मुझे पूछा कि, ‘आपके जैसी मीठी वाणी कब होगी?’ तब मैंने... Read More
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Q. पहले कोई नेगेटिव होता है, बाद में वह पॉज़िटिव बन जाता है। इसके पीछे क्या कारण है?
A. करैक्ट पॉजिटिव पर आए, तब... प्रश्नकर्ता: दादाजी, ऐसा है कि सारी ज़िंदगी नेगेटिव ही देखा हो इसलिए... Read More
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Q. पॉज़िटिव अहंकार और नेगेटिव अहंकार क्या फल देता है?
A. परिणाम ‘अहंकार’, पॉजिटिव में या नेगेटिव में यदि संक्षेप में कहना चाहें तो आरोपित भाव, ‘मैं... Read More
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A. नेगेटिव सोचने की भी मर्यादा शक्तियाँ तो अंदर भरी पड़ी हैं। कोई कहे कि ‘मुझसे नहीं होगा’, तो वैसा हो... Read More
Q. नेगेटिव विचारों को पॉज़िटिव विचारों द्वारा कैसे खत्म करें?
A. नेगेटिव को उड़ा दीजिए पॉजिटिव से प्रश्नकर्ता: यदि पॉजिटिव विचार करे कि ‘मेरा अच्छा ही होनेवाला है,... Read More
Q. क्या ओपन माइन्ड (खुला मन) पॉज़िटिव बनने में सहायरूप है? क्या ओपन माइन्ड पॉज़िटिव माइन्ड होता है?
A. ऑपन माइन्ड है पॉजिटिव गुण जितना माइन्ड ओपन (खुला मन) रखे उतना समझे कहलाए। माइन्ड जितना ओपन हुआ... Read More
Q. सारी परिस्थितियों को पॉज़िटिव तरीके से कैसे ले?
A. सम्यक् दृष्टि से नुकसान में भी मुनाफ़ा महावीर भगवान ने अपने शिष्यों को सिखलाया था कि आप जब बाहर... Read More
Q. आत्मज्ञान प्राप्ति के बाद, क्या हमारा जीवन पॉज़िटिव हो जाता है?
A. जागृति वही, जो दिखाए खुद के दोष प्रश्नकर्ता: ज्ञान मिलने के बाद जागृति आ जाती है उससे फिर... Read More
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