हम चिंता करते है क्योंकि हम किसी स्थिति के केवल सकारात्मक परिणाम को स्वीकार कर सकते है। इसके विपरित प्रतिकूल परिणाम को सहन नही कर सकते है। लेकिन क्या हम चिंता करने का जोखिम उठा सकते हैं यदि हम जानते हो कि चिंता करने से बाधाएं आती हैं और काम में देरी होती है? चिंता करना न केवल व्यक्ति के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि आध्यात्मिक प्रगति मे भी बाधक (हानिकारक) है। यह जीवन की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव ड़ालती है और स्थिति को और बत्तर कर देती है। इसलिए हमे चिंता करना और तनाव लेना बंद कर देना चाहिए। आइए हम तनाव और चिंता के प्रभावों पर एक नज़र डालें:
चिंताग्रस्त व्यक्ति का मन काम में हाज़िर नहीं रहता है। यदि सर्जरी करते समय डॉक्टर का मन भटकता रहे तो मरीज़ का क्या होगा? इसी तरह, खाने के दौरान भी हमारे भीतर अगणित कार्य चल रहे है। जब भोजन करते समय ध्यान भोजन में केंद्रित नहीं होता है, तो रक्तवाहिकाएं (ब्लड वेस्सेल्स) कड़क हो जाती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और दिल का दौरा पड़ता है।
जब आप चिंता करते है तो मस्तिष्क तनाव (स्ट्रेस) के हार्मोन छोड़ता है जो रक्त में प्रवाहित होते है। मांसपेशियां अनम्य होजाती है, जिसके परिणामस्वरूप पीठ दर्द, सिरदर्द, कंपकंपी आदि लक्षण प्रगट होते है। चिंता से पाचन तंत्र की सुरक्षात्मक परत घटती है जिससे जठरांत्र विकार की संभावनाएँ बढ़ सकती है।
अन्य शारिरिक प्रभाव जो हमे चिंता ना करने का दृढ़ निश्चय करवाती है वह इस प्रकार है:
क्या ये आपको चिंता न करने के लिए प्रेरित करता है?
क्या उपरोक्त बाते, चिंता न करने के निश्चय करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं?
जिस क्षण से आपका जन्म हुआ है उस क्षण से मृत्यु के समय तक, प्रत्येक वस्तु डिस्चार्ज हो रही है। मनुष्य रूप में आपका वर्तमान अस्तित्व डिस्चार्ज है। आपने पिछले जन्म में मनुष्य जन्म चार्ज किया था, जो अब डिस्चार्ज हो रहा है। भगवान को किसी भी प्रकार की डिस्चार्ज प्रक्रिया में कोई आपत्ति नहीं लेकिन डिस्चार्ज प्रकिया के समय आपके ध्यान की स्थिति जहा है वह बहुत महत्त्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए आप अपना व्यवसाय चलाते हो, तब भी डिस्चार्ज हो रहा है। आपने यह व्यवसाय शुरू किया है, वह इस तरह व्यवसाय करने का चार्ज किए कर्मो का परिणाम है। जिस दिन से आपने व्यवसाय शुरु किया है, उसी दिन से डिस्चार्ज शुरु है, लेकिन आप इसमें इतने तन्मयाकार हो जाते हैं कि नई चार्जिंग प्रक्रिया फिर से शुरु हो जाती है।
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