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व्यवसाय में नैतिकता: पैसों का व्यवहार कैसे करें

"पैसोंका व्यवहार कैसे करें" और "व्यवसाय में नैतिकता" का अंतिम रहस्य आत्मज्ञानी दादाश्री ने बताया है। कर्ज़े/नुक़सान से कैसे निपटें? क्या मुझे पैसे उधार देने चाहिएँ? क्या मुझे मेरा व्यापार विस्तार करना चाहिए? इन सभी प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

नैतिकता, सांसारिक व्यवहार का सार है। अगर आप के पास बहुत पैसा नहीं है फिर भी अगर आप नैतिकता रखें तो आपको मानसिक शांति रहेगी। अगर आपके पास बहुत पैसा है लेकिन नैतिकता नहीं है तो आप खुश नहीं रह सकेंगे।

'व्यापार में धर्म होना चाहिए लेकिन धर्म में व्यापार नहीं होना चाहिए।' व्यापार और अध्यात्म के क्षेत्र में यह मूल नैतिकता है।

क्या आपने कभी सोचा है कि 'कुछ लोगों के पास पैसा है और कुछ के पास नहीं?', 'धन और अध्यात्म में क्या संबंध है? 'इस पुस्तक में परम पूज्य दादाश्री ने रोज़मर्रा के उदाहरण देकर बहुत ही अच्छी तरह से पैसों के विज्ञान के बारे में पूरी तरह से समझाया है और यह भी बताया है कि पैसों का लेन-देन किस तरह करना चाहिए। लालच, पैसों के स्वभाव की वैज्ञानिक परिभाषा और पैसों के व्यवहार पर क्वोटेशन भी पढ़ें...

लक्ष्मी

पिछले जन्म के पुण्य के आधार से हमे पैसे प्राप्त होते है| देखिये यह विडियो जिसमें पूज्य दीपक भाई हमें पैसो का विज्ञान समझाते है|

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Top Questions & Answers

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  10. Q. क्या मुझे पैसे उधार देने चाहिए?

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Spiritual Quotes

  1. दो हेतु के लिए लोग जीते हैं : आत्मार्थ के लिए जीएँ, वैसे तो कुछ ही होते हैं। अन्य सभी लक्ष्मी के लिए जीते हैं। सारा दिन लक्ष्मी, लक्ष्मी और लक्ष्मी!
  2. 'डीसऑनेस्टी इस ध बेस्ट फुलिशनेस'! (अप्रामाणिकता सर्वोपरि मूर्खता है।) इस फूलिशनेस (मूर्खता) की कोई तो हद होगी न?
  3. पहले नीतिमत्ता! तेरे पास पैसे कम-ज्यादा हो उसमें हर्ज नहीं, मगर 'नीतिमत्ता पालना' इतना अवश्य करना, भैया।
  4. तिरस्कार और निंदा है वहाँ लक्ष्मी नहीं रहती। लक्ष्मी कब प्राप्त नहीं होती? लोगों की बुराई और निंदा में पड़ें तब।
  5. धन का अंतराय कब तक होता है? जब तक कमाने की इच्छा हो, तब तक। धन के प्रति दुर्लक्ष हुआ कि वह ढेरों आएगा।
  6. लक्ष्मी आती हो तो रोकना नहीं और नहीं आती तो गलत उपायों से उसे खींचना नहीं।
  7. लक्ष्मी तो क्या कहती है? हमें रोकना नहीं, जितनी आये उतनी दे दो।
  8. क्या किया हो तो अमीरी आयेगी? लोगों की अनेकों प्रकार से हैल्प (मदद) की होगी तब लक्ष्मी हमारे यहाँ आयेगी! वरना लक्ष्मी नहीं आती। लक्ष्मी तो देने की इच्छावाले के यहाँ ही आती है।
  9. सदैव, यदि लक्ष्मी निर्मल होगी तो सब अच्छा रहे, मन चंगा रहे।
  10. यह मनुष्य देह अडचनों से मुक्त होने के लिए है, केवल पैसा कमाने के लिए नहीं है।
  11. लक्ष्मीजी का दुरुपयोग करना महान गुनाह है।
  12. लक्ष्मी कब नहीं मिलती? लोगों की बदगोई या निंदा में पड़ें तब। मन की स्वच्छता, देह की स्वच्छता और जब वाणी की स्वच्छता हो तो लक्ष्मी मिलती है।
  13. व्यापार में चालाकी करोगे तो भी फायदा और चालाकी नहीं करोगे तो भी वह फायदा है। चालाकी आपके लिए अगले जन्म की जोखिमदारी खड़ी करती है। इसलिए भगवान ने चालाकी करने के लिए मना किया है। कुछ भी फायदा नहीं और बेहद नुकसान!
  14. व्यापार में अणहक्क का (अवैद्य) नहीं लेना चाहिए और जिस दिन अणहक्क का लेने लगेंगे, उस दिन बरकत नहीं रहेगी।
  15. व्यापार करने के लिए तो बहुत बड़ी छाती चाहिए। यदि छाती बैठ जाए तो व्यापार भी बैठ जाता है।
  16. भगवान व्यापार में हाथ डालते ही नहीं। व्यापार में तो तेरी कुशलता और तेरी नैतिकता, ये दो ही मापदंड काम आएँगे। अनैतिकता से साल-दो साल अच्छा मिलेगा, लेकिन बाद में नुकसान होगा। गलत हो जाने पर अगर पछतावा करोगे तो भी छूट जाओगे।
  17. लक्ष्मी ‘लिमिटेड’ है और लोगों की माँग ‘अनलिमिटेड’ है।
  18. व्यापार के दो बेटे हैं, एक का नाम नुकसान और एक का नाम फायदा। नुकसानवाला बेटा किसी को भी अच्छा नहीं लगता, लेकिन वे तो दो ही होते हैं। यह तो वे दोनों का जन्म हुआ ही होता है।

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