प्रश्नकर्ता : जीवन सात्विक और सरल बनाने के क्या उपाय हैं?
दादाश्री : तेरे पास जितना हो उतना ओब्लाइजिंग नेचर रखकर लोगों को देते रहना। ऐसे ही जीवन सात्विक होता जाएगा। ओब्लाइजिंग नेचर किया है तूने? तुझे ओब्लाइजिंग नेचर अच्छा लगता है?
प्रश्नकर्ता : कुछ अंश तक किया है!
दादाश्री : उसे अधिक अंश में करें, तो अधिक फायदा होगा। ओब्लाइज ही करते रहना। किसी के लिए फेरा लगाकर, चक्कर लगाकर, पैसे देकर, किसी दुखी को दो कपड़े सिलवा दें, ऐसे ओब्लाइज करना।
भगवान कहते हैं कि मन-वचन-काया और आत्मा (प्रतिष्ठित आत्मा) का उपयोग दूसरों के लिए करना। फिर तुझे कोई भी दुःख आए तो मुझे बताना।
धर्म की शुरूआत ही 'ओब्लाइजिंग नेचर' से होती है। आप अपने घर का दूसरों को दो, वहीं आनंद है। तब लोग ले लेना सीखते हैं! आप अपने लिए कुछ भी करना मत। लोगों के लिए ही करना तो अपने लिए कुछ भी करना नहीं पड़ेगा।
Book Name: सेवा-परोपकार (Page # 4 Paragraph #3 to #8 & Page # 5 Paragraph #1)
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Q. माता-पिता की सेवा या भगवान की सेवा?
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