आप खुद ही सुख का स्रोत है।
इसे कहीं और मत खोजिए।

समस्याएँ तो आती - जाती रहेंगी, लेकिन इससे आपका सुख कम नहीं होना चाहिए। सच्चे सुख को प्राप्त करने का सही रास्ता है कि आप खुद को पहचाने।

सुख क्या है?

आधुनिक विज्ञान कहता है कि सुख सकारात्मक भावनाओं की अनुभूति है और उसका अनुभव तब होता है, जब हम संतुष्ट या आनंद में रहते है।

अक्रम विज्ञान आध्यात्मिक विज्ञान है, जो कहता है कि “सच्चा सुख वही है जिस के बाद कभी दुःख नहीं आता और न ही कभी वह कम या ज़्यादा होता है।”

मुझे सुख मेरे परिवार और दोस्तों के साथ, अच्छी सेहत से, कार्यक्षेत्र में संतुष्टि और दुसरों का प्यार मिलने पर मिलता है।

यदि आप अपने सुख पर विचार करेंगे तो पता चलेगा कि आपके सुख बाहरी परिस्थितियों और अन्य लोगों और चीजों पर आधारित हैं। क्या कभी ये लोग और चीज़ें ही आपके दुःख का कारण नहीं बन जातीं?

हाँ... कभी कभी... लेकिन यही तो ज़िंदगी है!

जब भी इन परिस्थितियों और चीजों में कोई भी बदलाव आता हैं, तब सुख गायब हो जाता है और दुःख होता है। क्या हमें ऐसी स्थिति प्राप्त नहीं करनी चाहिए जहाँ हम सारे दुःखों से मुक्त रह सकें?

क्या ऐसी स्थिति को प्राप्त करना संभव है?

जी हाँ, यह संभव है! समभाव में रहने से आप किसी भी परिस्थिति में स्थिर रह सकते है और परिणाम स्वरूप आप अपने दुःखों से मुक्त रह सकते हैं!

वीडियो देखिए

सभी पैस्थितियों में खुश रहने की चाबियों के बारे में और बताएँ

कभी किसी को ऐसा कहते हुए सुनें कि, “चंदूलाल बहुत बुरा आदमी है”और यदि आपका नाम चंदूलाल है, तो यह सुनकर आप अवश्य ही गुस्सा हो जाएँगे लेकिन कुछ देर बाद, अगर आपका दोस्त आपसे कहे कि, “नहीं! वे लोग तो किसी दूसरे चंदूलाल की बात कर रहे थे तो ऐसा सुनकर आप तुरंत ही शांत हो जाएँगे।

ऐसा क्यों? बस इतना ही जानने से कि वे लोग आपके बारे में बात नहीं कर रहे थे।

इसका अर्थ यह है कि एक बार आपको अपने ‘सच्चे’ स्वरूप का ज्ञान हो जाए तो आप किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति से प्रभावित नहीं होंगे।

क्या आप सच में ‘चंदूलाल' हैं? (अपने नाम का प्रयोग करे)!

अगर मैं आपसे पूछूँ कि, "आप ‘चंदूलाल’ हैं या आपका नाम ‘चंदूलाल’ है?” तब आप क्या कहेंगे? यह तो आपका नाम है, है ना? तो फिर आप खुद कौन हैं?

आप क्या कहते हैं – ‘ “यह मेरा चश्मा है” या “मैं चश्मा हूँ”? ’ इसका अर्थ यह हुआ कि आप अपने चश्मे से अलग है| ठीक उसी तरह, क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि आप अपने नाम से अलग है? क्योंकि आप यह जानते नहीं कि आप सच में कौन है, आप अपने नाम को ही ऐसा मानते हैं कि यह ‘मैं हूँ'।

आपका सच्चा स्वरूप क्या हैं? सिर्फ आत्मज्ञान प्राप्त करने पर ही आप अपने सच्चे स्वरूप को पहचान सकते हैं।

आत्मज्ञान कैसे प्राप्त कर सकते है?

आत्मज्ञान प्राप्त करने का आसान और सरल तरीका है "ज्ञानविधि" जो अक्रम विज्ञान की एक अनूठी वैज्ञानिक प्रक्रिया है।

सिर्फ दो ही घंटों में, बिना किसी शुल्क के कोई भी व्यक्ति यह अमूल्य अनुभव प्राप्त कर सकता है। इस अमूल्य अनुभव को प्राप्त करने के लिए सिर्फ विनय और सरलता की ही आवश्यकता है।

मुझे अक्रम विज्ञान के बारे में पता नहीं है, इसके बारे में और अधिक जानकारी दीजिए?

अक्रम विज्ञान एक गहन लेकिन बहुत ही सरल आध्यात्मिक विज्ञान है। जो हर परिस्थिति में बहुत उपयोगी और उपयुक्त है। कितने ही लोगों ने यह आत्मज्ञान प्राप्त किया है तभी से और अपने सच्चे सुख का अनुभव कर रहे हैं। आप भी ऐसा कर सकते है।

अक्रम विज्ञान की विशिष्टता:
  • यह आत्मज्ञान बिना किसी प्रयत्न के प्राप्त किया जा सकता है।
  • इसमें किसी भी प्रकार की धार्मिक क्रिया, ध्यान या साधना करने की आवश्यकता नहीं है।
  • अपना धर्म या गुरु भी बदलने की जरूरत नहीं है।
  • इसमें किसी भी प्रकार का त्याग करने की आवश्यकता नहीं है।

यह तो बहुत अदभूत है! क्या मैं उन लोगों से मिल सकता हूँ जिन्होंने इस ज्ञान का अनुभव किया है?

जी हाँ! दुनिया भर के हजारों लोग इस मार्ग से जुड़े हुए हैं। जो अपना सांसारिक जीवन भली भांति जीते हुए भी इस ‘सच्चे’ सुख का अनुभव कर रहे हैं। उनके अनुभव यहाँ देखें ! 

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