हर एक इंसान को इतना तैयार होना है कि किसी भी जगह बोझा नहीं लगे। जगह उससे परेशान हो जाए। खुद परेशान न हो, इतने हद तक तैयार होना है। वर्ना जगह तो अनंत हैं, क्षेत्रों का अंत नहीं है! क्षेत्र अनंत हैं!
परम पूज्य दादा भगवानसरलता दो तरह की हैं : एक अज्ञान सरल और दूसरा ज्ञान से सरल। अज्ञान सरल, भोले होते हैं और अज्ञानता से ठगे जाते हैं। ज्ञान सरल तो जान-बूझकर ठगे जाते हैं!
परम पूज्य दादा भगवानबुद्धिपूर्वक नम्रता, बुद्धिपूर्वक सरलता और बुद्धिपूर्वक पवित्रता, ये सारे गुण हों तभी मोक्ष के दरवाज़े में प्रवेश किया जा सकता है। इन सभी गुणों का संग्रह हो तभी ज्ञानी से भेंट होती है। इसके बगैर ज्ञानी से भेंट नहीं हो सकती।
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