‘ज्ञानी’ की आज्ञा मन का शुद्धिकरण करती है। ‘स्वरूप’ का ज्ञान मन को कैसे भी संजोगों में समाधान देगा।
व्यवहार शुद्धि के बगैर स्यादवाद वाणी नहीं निकल सकती।
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