इकट्ठे रहकर, (संयुक्त कुटुंम्ब में), मतभेद रखने के बजाय मेल-जोल सहित अलग रहना अच्छा!
परम पूज्य दादा भगवानजहाँ मतभेद होने लगे, वहाँ हमें अपने शब्द वापस ले लेने चाहिए, यह समझदार पुरुषों की निशानी है।
परम पूज्य दादा भगवानएकाग्रता तो कैसी होनी चाहिए? उठते-बैठते, खाते-पीते, लड़ते-झगड़ते हुए भी एकाग्रता टूटनी नहीं चाहिए। पूरे शरीर में अन्य कोई मतभेद ही नहीं!
परम पूज्य दादा भगवानयह सारा भेद जो हो गया है, द्रव्य-क्षेत्र-काल और भाव अलग-अलग होने की वजह से भेदबुद्धि खड़ी हो गई है!
परम पूज्य दादा भगवानबुनियादी मतभेद हो तो वह मन अलग कर देता है। जहाँ एक-दूसरे की अक़्ल ढूँढऩे जाते हैं वहाँ बुनियादी मतभेद हो जाता है। वहाँ सावधानी रखनी होगी।
परम पूज्य दादा भगवानवीतराग मार्ग में मतभेद नहीं होते। जहाँ मतभेद है वहाँ वीतराग मार्ग नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवानsubscribe your email for our latest news and events