क्रियाओं में ज्ञान नहीं है और ज्ञान में क्रिया नहीं है। दोनों ही अलग स्वभाव वाले हैं!
परम पूज्य दादा भगवानजहाँ पर हिंसकभाव नहीं रहे वह संयमी कहलाता है। क्रोध-मान-माया-लोभ में भी हिंसक भाव न रहें, वह संयम कहलाता है। संयमी मोक्ष में जाता है।
परम पूज्य दादा भगवानआत्मा में परम सुख ही है। लेकिन कलुषित भाव के कारण सुख पर आवरण आ जाता है।
परम पूज्य दादा भगवानआप यदि सही हो तो दुनिया में कोई आपका नाम देनेवाला नहीं है। यदि आप जगत् में किसी को दुःख नहीं देते हो, किसी को दुःख देने की आपकी भावना नहीं है, तो आपको कोई दुःख दे सके ऐसा नहीं है।
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