व्यवहार चरित्र यानी किसी भी स्त्री को दुःख न हो इस तरह व्यवहार करना, किसी स्त्री की ओर दृष्टि न बिगड़े।
परम पूज्य दादा भगवानसंसार की सभी चीज़ें अधोगामी हैं। सिर्फ वीर्य ही, यदि निश्चय किया जाए तो ऊध्र्वगामी हो सकता है!
परम पूज्य दादा भगवानखुद भगवान है, तो भगवान की सत्ता कब तक रहती है? सत्य बोले, अहिंसा का पालन करे, चोरी नहीं करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, अपरिग्रही रहे, तब तक भगवान की सत्ता रहती ही है!
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