स्यादवाद वाणी की भूमिका कब उत्पन्न होती है? तब, जब अहंकार शून्य हो जाता है, पूरा जगत् निर्दोष दिखाई देता है, किसी जीव का किंचित्मात्र भी दोष नहीं दिखाई देता है, किंचित्मात्र भी किसी धर्म का प्रमाण आहत नहीं होता।
परम पूज्य दादा भगवानsubscribe your email for our latest news and events