जब प्रेमस्वरूप बनोगे तब लोग आपकी सुनेंगे। ‘प्रेमस्वरूप’ कब हुआ जाता है? कायदे-कानून नहीं खोजोगे तब। जगत् में किसी का भी दोष नहीं देखोगे तब।
परम पूज्य दादा भगवानस्यादवाद वाणी की भूमिका कब उत्पन्न होती है? तब, जब अहंकार शून्य हो जाता है, पूरा जगत् निर्दोष दिखाई देता है, किसी जीव का किंचित्मात्र भी दोष नहीं दिखाई देता है, किंचित्मात्र भी किसी धर्म का प्रमाण आहत नहीं होता।
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