निजी बात करना निंदा कहलाता है। बात को सामान्य रूप से समझना होता है। निंदा करना तो अधोगति में जाने की निशानी है।
परम पूज्य दादा भगवान‘वीतराग’ क्या कहते हैं? तुझे मार खानी हो तो मार आ। तुझे निंद्य बनना हो तो निंदा कर।
परम पूज्य दादा भगवानजिस दृष्टि की जितनी प्रशंसा की है, अगर उसकी उतनी ही निंदा की जाए तो वह दृष्टि चली जाती है।
परम पूज्य दादा भगवानइस वातावरण में सिर्फ परमाणु ही भरे हुए हैं। इसीलिए तो हम कहते हैं कि किसी की निंदा मत करना। एक शब्द भी गैर ज़िम्मेदारीवाला मत बोलना। और यदि बोलना है तो अच्छा बोल।
परम पूज्य दादा भगवानजगत् सामान्य भाव से है। कोई मालिक नहीं है इसका। जिसे जो अनूकुल आए वैसा वह करे। उसकी आप निंदा नहीं कर सकते, ‘वह गलत है’ ऐसा नहीं कह सकते, ‘यह गलत है’ ऐसा सोच भी नहीं सकते। यह सारा कुदरती संचालन है!
परम पूज्य दादा भगवानलोगों को हमारी निंदा करने का अधिकार है। हमें किसी की निंदा करने का अधिकार नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवानसामनेवाले की निंदा करना उसकी आराधना की निंदा करने के बराबर है। वह भयंकर गुनाह है। आप सामनेवाले को समर्थन न दे सको तो कोई बात नहीं, लेकिन निंदा तो करना ही नहीं। यदि निंदा है तो वहाँ वीतरागों का विज्ञान नहीं है, वहाँ धर्म है ही नहीं, अभेदता है ही नहीं!
परम पूज्य दादा भगवानपूरा संसार ‘नेगेटिव’ में भटक-भटककर मर गया। यह ‘अक्रम’ तो बढि़या ‘पोज़िटिव’ मार्ग है।
परम पूज्य दादा भगवानकिसी की निंदा करते हो तब आपके खाते में ‘डेबिट’ हुआ और उसके खाते में ‘क्रेडिट’ हुआ। ऐसा धंधा कौन करे?
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