अंतरशत्रु का जिन्होंने नाश कर दिया है, ऐसे अरिहंत को नमस्कार करता हूँ। अंतरशत्रुओं को पहचानो। क्रोध-मान-माया-लोभ, ये अंतरशत्रु हैं!
परम पूज्य दादा भगवानकृष्ण भगवान की फोटो के दर्शन करने से वह ‘रिलेटिव’ को पहुँचता है। ‘यहाँ’ नमस्कार करते हैं, तो वह ‘डायरेक्ट’ उनके आत्मा को ही पहुँचता है। क्योंकि वीतराग स्वीकार नहीं करते हैं न? हमेशा ही जहाँ ‘रिलेटिव’ और ‘रियल’ दोनों दर्शन किए जाएँ, वहीं पर मोक्ष है।
परम पूज्य दादा भगवानयदि भगवान के दर्शन करो तो भाव से करना। मेहनत करके दर्शन करने जाते हो, लेकिन यदि दर्र्शन सही भाव से नहीं किए तो व्यर्थ जाएगा। इसलिए इस तरह से दर्शन करना : ‘हे भगवान! आप ही हैं जो मेरे भीतर विराजमान हैं। आप वीतराग हैं, आपको नमस्कार करता हूँ।’ इस तरह से दर्शन करने पर भगवान को फोन उठाना ही पड़ेगा। नहीं उठाएँगे तो वह उनकी ज़िम्मेदारी है। सही फोन आए तो भगवान तुरंत फोन उठाते हैं।
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