‘व्यवहार चारित्र’ किसे कहते हैं? वीतराग मार्ग पर चलना, उसे। जो वीतराग मार्ग में होता है, वह किसी भी धर्म को पराया नहीं मानता, फिर भी वीतराग धर्म को खुद का ध्येय मानता है। वीतरागों की बात मानता है और अन्य किसी के प्रति अन्याय नहीं करता। जब किसी भी धर्म के प्रति या किसी के प्रति द्वेष नहीं रहता तब उसे ‘व्यवहार चारित्र’ कहा जाता है!
परम पूज्य दादा भगवानsubscribe your email for our latest news and events