क्रोध-मान-माया-लोभ होने लगें तो होने देना, कुचारित्र के विचार आएँ तो उसमें हर्ज़ नहीं है, घबराना नहीं। लेकिन उन्हें ‘यों’ प्रतिक्रमण करके पलट देना। उससे बहुत ही उच्च धर्मध्यान होगा!
परम पूज्य दादा भगवानजब तक आपके ध्यान में ऐसा रहेगा कि ‘शेर हिंसक है’, तब तक वह हिंसक ही रहेगा और ‘शेर शुद्धात्मा है’ ऐसा ध्यान में रहेगा तो वह हिंसक नहीं रहेगा। कुछ भी हो सकता है!
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