किसी की निंदा करते हो तब आपके खाते में ‘डेबिट’ हुआ और उसके खाते में ‘क्रेडिट’ हुआ। ऐसा धंधा कौन करे?
परम पूज्य दादा भगवानव्यापार में अणहक्क का (अवैद्य) नहीं लेना चाहिए और जिस दिन अणहक्क का लेने लगेंगे, उस दिन बरकत नहीं रहेगी।
परम पूज्य दादा भगवान‘ग्राहक आएँ तो अच्छा है’ इतना रखना लेकिन फिर मिथ्या दौड़-धूप मत करना। ‘रेग्युलारिटी’ (नियमबद्धता) रखना और भाव नहीं बिगाड़ना, वह ‘रिलेटिव’ पुरुषार्थ है। ग्राहक नहीं आएँ तो अकुलाना मत करना और किसी दिन झुंड के झुंड आ जाएँ तो सभी को संतुष्ट करना।
परम पूज्य दादा भगवानभगवान व्यापार में हाथ डालते ही नहीं। व्यापार में तो तेरी कुशलता और तेरी नैतिकता, ये दो ही मापदंड काम आएँगे। अनैतिकता से साल-दो साल अच्छा मिलेगा, लेकिन बाद में नुकसान होगा। गलत हो जाने पर अगर पछतावा करोगे तो भी छूट जाओगे।
परम पूज्य दादा भगवानहम से अगर कोई पूछे कि, ‘क्या इस साल नुकसान हुआ है?’ तो हम कहते हैं कि, ‘नहीं भाई, हमें नुकसान नहीं हुआ, व्यापार को नुकसान हुआ है!’ और मुनाफा होने पर कहते हैं कि, ‘व्यापार को मुनाफा हुआ है।’ ‘हमें’ नफा-नुकसान है ही नहीं।
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