हमारे विचार किसी से मिलते-जुलते हों तो वह बहुत जोखिम भरा है। विचार मिलते-जुलते हों ऐसा ज़रूरी नहीं है, समझ होनी चाहिए। विचार मोक्ष में नहीं ले जाते हैं, समझ मोक्ष में ले जाती है!
परम पूज्य दादा भगवान‘खुदा’ तो सभी को ‘लाइट’ देते हैं। जिसे बदमाशी करनी हो उसे ‘लाइट’ देते हैं, जिसे चोरी करनी है उसे भी ‘लाइट’ देते हैं। लेकिन जोखिमदारी ‘तेरी’ है। खुदा ने क्या कहा है कि तू ही इस दुनिया का मालिक है। तू यदि मेरे नियमों का पालन करेगा तो तुझे खुदाई सत्ता मिलेगी!
परम पूज्य दादा भगवानतू सीधा रहेगा तो सामनेवाले को सीधा होकर आए बिना चारा ही नहीं है। कोई यदि आपको गाली देता है तो क्या वह आपकी जोखिमदारी पर दे रहा है? तो क्या फिर भगवान की जोखिमदारी पर दे रहा है? नहीं, वह तो खुद की जोखिमदारी पर ही दे रहा है। यदि बदले में आप गाली दोगे तो वह आपकी जोखिमदारी हो गई।
परम पूज्य दादा भगवानमालिकीपना किया और ऊपर से अहंकार किया, इसलिए भोगवटा आया। कोई किसी का मालिक नहीं है। किस की चीज़ और किसका माल? वह तो समुद्र में से जिसने जितनी मछली पकड़ी उतनी उसके बाप की और पकड़ने के बाद जो मालिकी भाव खड़ा किया, उसमें उसने जोखिमम्मोल लिया!
परम पूज्य दादा भगवानकिसी सती को वेश्या कहा तो कितना बड़ा जोखिम है? अनंत अवतार बिगड़ जाएँगे। यदि वेश्या को सती कहोगे तो जोखिम नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवानप्रत्येक शब्द बोलना जोखिम भरा है। इसलिए यदि बोलना नहीं आए तो मौन रहना अच्छा। धर्म के लिए बोलो तो धर्म का जोखिम और व्यवहार में बोलो तो व्यवहार का जोखिम। व्यवहार का जोखिम तो खत्म हो जाए, लेकिन धर्म का जोखिम बहुत भारी है। उससे धर्म में बहुत भारी अंतराय पड़ते हैं।
परम पूज्य दादा भगवानजहाँ पर करना, करवाना या अनुमोदन करना ऐसा भाव ही नहीं है, वहाँ कोई जोखिमदारी नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवानपूछकर करने पर जोखिमदारी उनकी जो बताते हैं, स्वच्छंदता से करने में जोखिमदारी खुद की है।
परम पूज्य दादा भगवानविकल्पी होने से जोखिमदारी आती है। जोखिमदार बनने से अवश्य ही कुदरत की मार पड़ती है। कुदरत किसी को दु:ख नहीं देती। कुदरत तो सभी के लिए ‘हेल्पफुल’ ही है!
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