जब तक स्वार्थ रहता है, तब तक एकजुटता नहीं हो पाती। परमार्थ हो तभी एकात्मकता हो सकती है।
परम पूज्य दादा भगवानसारी आत्मशक्ति यदि खत्म हो सकती है तो वह है घर्षण से। अनंत शक्तियाँ घर्षण से खत्म हो जाती हैं! ज़रा सा भी टकराए तो खत्म। जागृतिपूर्वक के संयम से अगर हम सामनेवाले से नहीं टकराएँ तो काम होगा।
परम पूज्य दादा भगवान‘अकषायी व्यवहार’, वह शुद्ध व्यवहार है और निजस्वरूप का लक्ष (जागृति), वह निश्चय है! उसी से मोक्ष है!
परम पूज्य दादा भगवानsubscribe your email for our latest news and events