यदि ‘ज्ञानी पुरुष’ का सिर्फ एक ही अक्षर समझ में आ जाए तो कल्याण हो जाए!
परम पूज्य दादा भगवानभगवान कर्ता होते तो उसका कब अंत आता? भगवान बनानेवाला और हम बन गए, हम उसके खिलौने तो फिर हो गया कल्याण! फिर हमारा मोक्ष कब होगा? कोई भी आपका ऊपरी नहीं है, कोई भी आपका अन्डरहैन्ड नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवानहमें तो, जो गिर चुके हैं उन्हें खड़ा करना है। ‘क्यों गिर पड़ा?’ ऐसा नहीं पूछना है।
परम पूज्य दादा भगवानयह आश्चर्य है। संसार में मोक्ष दिखाई देना एक आश्चर्य है। यह अक्रम मार्ग दस लाख सालों के बाद निकला है! अनोखा मार्ग है! अडिग़ आश्चर्य है! पूरा ‘वल्र्ड’ पेट्रोल की ज्वाला में जल रहा है, अब तो वह सुलग चुका है! पूरे ‘वल्र्ड’ के कल्याण के लिए है यह मार्ग। मैं इसका निमित्त हूँ, फिर भी गुप्त रखा है। हम पलंग पर लेटे हुए ही सब करते हैं। मज़दूर मेहनत करते हैं जबकि ‘ज्ञानी’ घर बैठे करते हैं।
परम पूज्य दादा भगवानपक्षपात से आत्यंतिक कल्याण नहीं होता बल्कि पाक्षिक (पक्ष वाला) कल्याण होता है!
परम पूज्य दादा भगवानआणंद में रहने से आनंद नहीं आता, कल्याण में रहने से कल्याण नहीं होता। वह तो स्वरूप में रहने से प्राप्त होता है।
परम पूज्य दादा भगवानsubscribe your email for our latest news and events