गोपनीय काम करे वह कपट कहलाता है। कपट का तो खुद कपट करनेवाले को भी पता नहीं चलता। झूठ का समावेश भी कपट में होता है।
परम पूज्य दादा भगवानव्यसन कौन से हैं? जो गुप्त रखे हैं, वे ही व्यसन हैं। जो स्पष्ट दिखाई दें, वे व्यसन नहीं कहलाते।
परम पूज्य दादा भगवानयदि चैतन्य इन्द्रियगम्य होता तो भगवान को खोजना ही नहीं पड़ता, जन्म से ही वे आँखों से दिखाई देते! जहाँ पर इन्द्रिय का नहीं चलता, मन का नहीं चलता, बुद्धि का नहीं चलता, किसी का नहीं चलता तब भगवान दिखाई देते हैं। इसीलिए तो कहते हैं न, ‘मैं हृदय में ही हूँ।’ ‘आडी त्राटी कपट की तासे दिसत नाहीं!’
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