सामनेवाले की निंदा करना उसकी आराधना की निंदा करने के बराबर है। वह भयंकर गुनाह है। आप सामनेवाले को समर्थन न दे सको तो कोई बात नहीं, लेकिन निंदा तो करना ही नहीं। यदि निंदा है तो वहाँ वीतरागों का विज्ञान नहीं है, वहाँ धर्म है ही नहीं, अभेदता है ही नहीं!
परम पूज्य दादा भगवान‘रियल’ की आराधना करनी है और ‘रिलेटिव’ को जानना है, ‘रियल’ में रमणता करनी है।
परम पूज्य दादा भगवानजब तक आत्मा का भान नहीं हुआ है, तब तक वीतरागों की मूर्ति की आराधना करो। मूर्ति आपको समकित तक ले जाएगी! क्योंकि उसके पीछे शासन देवी-देवता हैं।
परम पूज्य दादा भगवान‘हमारे’ पाँच ‘फन्डामेन्टल’ (मूलभूत) वाक्य हैं। पूरे वल्र्ड को यदि उनसे अपना काम बनाना हो तो बना सकता है। अगर ‘स्वरूप का ज्ञान’ नहीं हो, तब भी इन वाक्यों की आराधना से बहुत काम हो सकता है।
परम पूज्य दादा भगवानजो लघुत्तम पद है न, वही गुरुत्तम पद देता है। और वह गुरुत्तम, यानी कि ‘मैं कुछ हूँ’, वह तो विनाश लाएगा। यदि गुरुत्तम पद चाहिए तो लघुत्तम पद की आराधना करो।
परम पूज्य दादा भगवानवास्तव में भगवान ने विराधना किसे कहा है? जो ‘ज्ञान’ की विराधना करेगा, वह विराधक कहा जाएगा। अज्ञान की विराधना करने वाला आराधक कहा जाएगा।
परम पूज्य दादा भगवानगलत की भी विराधना मत करना। आपको अगर आराधना नहीं करनी हो तो मत करो। वह सामने वाला का ‘व्यू पोइन्ट’ है, गलत नहीं है। अगर आपको नहीं पुसाता तो मत करो। सही की भी विराधना मत करना और गलत की भी मत करना। विराधना मात्र दु:खदायी है।
परम पूज्य दादा भगवानउल्टा ज्ञान मिलने से तृष्णा होती है और यह जो उल्टे ज्ञान की आराधना करते हो, उससे ये सारे दु:ख हैं!
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