भीतर अनंत शक्ति है। आप सोचते हो, तो जैसा भीतर सोचते हो वैसा ही बाहर हो। लेकिन यह तो मेहनत करके विचारों के पीछे पड़ते हैं फिर भी बाहर वैसा होता नहीं है, इतना भारी दिवाला निकाला है मनुष्यों ने! कलियुग आ गया है!
परम पूज्य दादा भगवानये सभी शास्त्र ब्रह्म को जानने के लिए लिखे गए हैं, ब्रह्म की प्राप्ति हुई नहीं और अनंत जन्मों से भटक, भटक, भटक, भटकते ही जा रहे हैं। जब तक खुद का अज्ञान चला नहीं जाए, तब तक हल नहीं आता।
परम पूज्य दादा भगवानयदि आपको सुख पसंद है तो जिसमें सुख है उसकी भजना करो। सुख भगवान में है। भगवान तो अनंत सुख के धाम हैं और जड़ की भजना करोगे तो दुःख होगा क्योंकि जड़ में दुःख ही है।
परम पूज्य दादा भगवानकिसी को भी दुःख देंगे तो भीतर दुःख शुरू हो जाएगा! ऐसा है यह वीतरागों का साइन्स। एक जन्म में सभी के दुःख ले लोगे तो अनंत जन्मों की क्षतिपूर्ति हो जाएगी!
परम पूज्य दादा भगवानहर एक इंसान को इतना तैयार होना है कि किसी भी जगह बोझा नहीं लगे। जगह उससे परेशान हो जाए। खुद परेशान न हो, इतने हद तक तैयार होना है। वर्ना जगह तो अनंत हैं, क्षेत्रों का अंत नहीं है! क्षेत्र अनंत हैं!
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