यह पूरा जगत् नैमित्तिक है। इस जगत् में कोई कर्ता हुआ ही नहीं है और कोई कर्ता पैदा भी नहीं हुआ है। भ्रांति से कर्ता बनता है, उससे कैसे-कैसे कर्म चिपकते हैं!
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