आध्यात्मिक कोटेशन

जड़ में कभी भी ‘चेतन’ नहीं होता और चेतन में कभी भी जड़ नहीं होता। सिर्फ यह शरीर ही ‘मिश्र चेतन’ है। चेतन जैसा काम करता है, लेकिन वास्तव में चेतन नहीं है! वस्तुत्व का भान भेदविज्ञान से होता है। जड़ और चेतन में भेद डल जाता है।

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