‘एक मिनट’ के लिए भी झंझट न हो, उसे कहते हैं पति। जिस तरह मित्र के साथ बात बिगड़ने नहीं देते, उस तरह संभालना चाहिए। यदि मित्र के साथ बनाए नहीं रखेंगे तो मित्रता टूट जाएगी।
परम पूज्य दादा भगवानसंसार में अन्य कुछ न आए, उसमें दिक्कत नहीं है। लेकिन ‘एडजस्ट’ होना तो आना ही चाहिए। यदि सामने वाला ‘डिसएडजस्ट’ होता रहे और आप ‘एडजस्ट’ होते रहोगे तो संसार के पार उतर जाओगे।
परम पूज्य दादा भगवानपत्नी का पति बनना आ गया, ऐसा कब कहा जाएगा? जब पत्नी निरंतर पूज्यता का अनुभव करे!
परम पूज्य दादा भगवानमतभेद होने पर झगड़े होते हैं। मनभेद होने पर ‘डिवॉर्स’ होता। तनभेद होने पर अर्थी निकलती है।
परम पूज्य दादा भगवानइस तरह घर में मतभेद होंगे तो कैसे चलेगा? पत्नी कहती है कि, ‘मैं आपकी हूँ’ और पति कहता है कि, ‘मैं तेरा हूँ’, फिर मतभेद क्यों?
परम पूज्य दादा भगवानअपनी बात सामने वाले को ‘एडजस्ट’ हो ही जानी चाहिए। अपनी बात सामने वाले को ‘एडजस्ट’ नहीं हो, तो वह अपनी ही भूल है। हर तरह से भूल नहीं है लेकिन अपनी कुछ न कुछ भूल तो है। भूल खत्म हो जाए तो ‘एडजस्ट’ हो पाएँगे। वीतरागों की बात ‘एवरीव्हेर एडजस्टमेन्ट’ की है।
परम पूज्य दादा भगवान‘एवरीव्हेर एडजस्ट’, हो जाए तब वीतरागों की बात को पूर्णत: पा लिया, ऐसा कहा जाएगा।
परम पूज्य दादा भगवानबीवी-बच्चे तो अपने आश्रय में आए हुए हैं। जो अपने आश्रय में आया हो, उसे दु:ख कैसे दे सकते हैं? सामने वाले की गलती हो, तब भी हमें आश्रित को दु:ख नहीं देना चाहिए।
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