बीवी-बच्चे तो अपने आश्रय में आए हुए हैं। जो अपने आश्रय में आया हो, उसे दु:ख कैसे दे सकते हैं? सामने वाले की गलती हो, तब भी हमें आश्रित को दु:ख नहीं देना चाहिए।
परम पूज्य दादा भगवानघर में तो व्यवहार अच्छा ही रखना चाहिए न! खुद के खेत का पौधा न कुचला जाए, उसका ध्यान रखते हैं न हम?!
परम पूज्य दादा भगवानधर्म अर्थात् किसी भी जीव को किसी भी प्रकार से सुख देना। किसी भी जीव को किसी भी प्रकार से दु:ख देना, वह अधर्म है। बस, धर्म का इतना ही अर्थ समझने की ज़रूरत है।
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