जहाँ कोई भी क्लेश है वहाँ भगवान भी नहीं हैं और धर्म भी नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवान
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जहाँ धर्म है वहाँ चिंता नहीं है और जहाँ चिंता है वहाँ धर्म नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवान
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धर्म अर्थात् किसी भी जीव को किसी भी प्रकार से सुख देना। किसी भी जीव को किसी भी प्रकार से दु:ख देना, वह अधर्म है। बस, धर्म का इतना ही अर्थ समझने की ज़रूरत है।
परम पूज्य दादा भगवान
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धर्म की शुरुआत ही ‘ऑब्लाइज़िंग नेचर’ से होती है।
परम पूज्य दादा भगवान
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औरों के लिए जो कुछ भी किया जाता है, वह धर्मध्यान है।