‘एडजस्ट एवरीव्हेर’, यह वाक्य आपके संसार को ‘टॉप’ पर ले जाएगा। व्यवहार को भी ‘टॉप’ पर ले जाए बिना कोई मोक्ष में नहीं गया है। व्यवहार आपको छोड़े नहीं, उलझाता रहे तो आप क्या करोगे? इसलिए व्यवहार को फटाफट सुलझा दो।
परम पूज्य दादा भगवानजिसे दूसरों के साथ अनुकूल होना आता है, उसे कोई दु:ख ही नहीं रहता। ‘एडजस्ट एवरीव्हेर।’
परम पूज्य दादा भगवानअपनी बात सामने वाले को ‘एडजस्ट’ हो ही जानी चाहिए। अपनी बात सामने वाले को ‘एडजस्ट’ नहीं हो, तो वह अपनी ही भूल है। हर तरह से भूल नहीं है लेकिन अपनी कुछ न कुछ भूल तो है। भूल खत्म हो जाए तो ‘एडजस्ट’ हो पाएँगे। वीतरागों की बात ‘एवरीव्हेर एडजस्टमेन्ट’ की है।
परम पूज्य दादा भगवान‘एवरीव्हेर एडजस्ट’, हो जाए तब वीतरागों की बात को पूर्णत: पा लिया, ऐसा कहा जाएगा।
परम पूज्य दादा भगवानमन की शांति, वह मनोवैभव है। मनोवैभव, वह ‘टेम्परेरी एडजस्टमेन्ट’ है। आत्मशांति, वह आत्मवैभव है और आत्मवैभव ‘परमानेन्ट एडजस्टमेन्ट’ है।
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