हर एक इंसान को इतना तैयार होना है कि किसी भी जगह बोझा नहीं लगे। जगह उससे परेशान हो जाए। खुद परेशान न हो, इतने हद तक तैयार होना है। वर्ना जगह तो अनंत हैं, क्षेत्रों का अंत नहीं है! क्षेत्र अनंत हैं!
परम पूज्य दादा भगवानमनुष्य यदि प्राप्त संसार में दखल न करे तो संसार बहुत सरल और सीधा चलता रहेगा। लेकिन यह तो प्राप्त संसार में दखल ही करता रहता है। जागे तभी से दखल! प्राप्त संयोगों में बिल्कुल भी दखल नहीं हो तो भगवान की सत्ता रहती है, उसके बजाय दखल करके खुद की सत्ता खड़ी करता है!
परम पूज्य दादा भगवानमोक्ष सहज, सरल और सुगम है, लेकिन प्राप्ति दुर्लभ है क्योंकि मोक्षस्वरूप पुरुष प्राप्त होने चाहिए!
परम पूज्य दादा भगवानजगत् जब बुद्धि का प्रचार छोड़ेगा और ‘हार्ट’ (हृदय) पर आएगा, ‘हार्टिली’ (हार्दिक) बनेगा, तब वापस सब सरल हो जाएगा!
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