कृपा का मतलब ‘एवरी टाइम सिन्सियर’। नैमित्तिक कृपा पात्र हुए बगैर ‘निश्चय’ प्राप्त नहीं हो सकता। क्रमिकमार्ग में भी नैमित्तिक कृपा है ही। ‘हम’ तो स्पेशल कृपा बरसाते हैं। परम विनय से ‘हमारी’ कृपा उतरती है। सिर्फ ‘कम्पलीट सिन्सियारिटी’ की ही चाहिए।
परम पूज्य दादा भगवानविनय यानी विशेष नय। इस जगत् के सभी नय संसार हेतु से हैं और विशेष नय मोक्ष में ले जाता है। सिर्फ विनय ही ऐसा है जो मोक्ष में ले जा सकता है।
परम पूज्य दादा भगवानपरम विनयी आबरूवाला होता है! अन्य कहीं आबरू है ही कहाँ? कलियुग में आबरू होती होगी किसी की? परम विनय आबरू है। लोगों में विनय ढूँढें और खुद अविनयी हो जाएँ तो क्या वह अपनी आबरू कहलाएगी?
परम पूज्य दादा भगवानजिनमें परमात्मा व्यक्त हो चुके हैं, ऐसे ‘ज्ञानी पुरुष’ को संपूर्ण रूप से अर्पित हो जाना है। ऐसे में हमारा आत्मा, आत्म-स्वभाव में और शरीर परम विनय में रहता है।
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