भीतर अनंत शक्ति है। आप सोचते हो, तो जैसा भीतर सोचते हो वैसा ही बाहर हो। लेकिन यह तो मेहनत करके विचारों के पीछे पड़ते हैं फिर भी बाहर वैसा होता नहीं है, इतना भारी दिवाला निकाला है मनुष्यों ने! कलियुग आ गया है!
परम पूज्य दादा भगवानक्रोध-मान-माया-लोभ होने लगें तो होने देना, कुचारित्र के विचार आएँ तो उसमें हर्ज़ नहीं है, घबराना नहीं। लेकिन उन्हें ‘यों’ प्रतिक्रमण करके पलट देना। उससे बहुत ही उच्च धर्मध्यान होगा!
परम पूज्य दादा भगवानहमारे विचार किसी से मिलते-जुलते हों तो वह बहुत जोखिम भरा है। विचार मिलते-जुलते हों ऐसा ज़रूरी नहीं है, समझ होनी चाहिए। विचार मोक्ष में नहीं ले जाते हैं, समझ मोक्ष में ले जाती है!
परम पूज्य दादा भगवानपाशवता यानी बिना ह़क का लेना, बिना ह़क का खा जाना, बिना ह़क का इकट्ठा करने के विचार करना। ह़क का हमारे पास आए, तो उसमें कोई हर्ज नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवानइस जगत् का न्याय कैसा है? कि जिन्हें लक्ष्मी से संबंधित विचार नहीं आते, विषय से संबंधित विचार नहीं आते, जो देह से निरंतर जुदा ही रहता है, उन्हें भगवान कहे बगैर नहीं रहता।
परम पूज्य दादा भगवानमोक्ष का अधिकारी कौन है? जिसका मन जैसा सोचे, वैसा ही वाणी से बोले और वैसा ही वर्तन करे, ऐसा हो जाने के बाद मोक्ष का अधिकारी होने लगता है!
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