जो याद आए, उसके लिए प्रतिक्रमण करना चाहिए और जिसकी इच्छा होती है, उसके लिए प्रत्याख्यान करना चाहिए।
परम पूज्य दादा भगवानजिनके ‘आलोचना-प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान’ सही हैं, उसे आत्मा प्राप्त हुए बगैर रहेगा ही नहीं।
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